शिलांग, मेघालय, 5 सितंबर, 2023: मंगलवार को, शिलांग में पहला ‘प्ले टू लर्न’ समिट सफलतापूर्वक आयोजित किया गया, जिसमें छोटे बच्चों के समग्र विकास में खेल की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया। समिट मेघालय सरकार, मेघालय अर्ली चाइल्डहुड डेवलपमेंट मिशन (एमईसीडीएम) और मेघालय हेल्थ सिस्टम स्ट्रेंथनिंग प्रोजेक्ट (एमएचएसएसपी) द्वारा सेसमी वर्कशॉप इंडिया ट्रस्ट के सहयोग से व एसबीआई फाउंडेशन और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग एंड फाइनेंस के फंडिंग सहयोग से आयोजित किया गया।
मेघालय राज्य ‘ मेघालय अर्ली चाइल्डहुड डेवलपमेंट मिशन (एमईसीडीएम) का क्रियान्वयन कर रहा है, जो देश में अपनी तरह की अनूठी पहल है। मिशन का मुख्य उद्देश्य बच्चों को मांओं के गर्भधारण के समय से लेकर आठ साल की आयु तक उनके महत्वपूर्ण विकास में सहायता प्रदान कर उनकी पूरी क्षमता का उपयोग करने में मदद करना है। मिशन के अपेक्षित लाभार्थी देखभालकर्ता, 0-8 वर्ष की आयु के बच्चे ( इनमें दिव्यांग भी शामिल हैं), गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली माताएं हैं। मिशन द्वारा बच्चों को पोषण, संज्ञानात्मक विकास, सामाजिक-भावनात्मक शिक्षा और स्कूली शिक्षा व जीवन में सफल होने के लिए आवश्यक मूलभूत विकास सहित व्यापक सहायता प्रदान करने के लिए सभी आंगनवाड़ी केंद्रों को ईसीडी केंद्रों में परिवर्तित किया गया है। इसके अलावा, समुदायों और घरों के भीतर होने वाली ईसीडी गतिविधियों पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उदाहरण के लिए, महिला स्वयं सहायता समूहों और बच्चों के पिताओं के लिए बने मंडलों को प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि वे देखभाल करने वालों के लिए सहायता समूह के रूप में कार्य कर सकें और देखभाल करने वालों को उन सरल गतिविधियों के विषय में प्रशिक्षित कर सकें, जो वे अपने बच्चों के संज्ञानात्मक विकास और समग्र कल्याण को बढ़ावा देने के लिए घर पर कर सकते हैं।
इस पहल के हिस्से के रूप में, सेसमी वर्कशॉप इंडिया, एमएचएसएसपी के सहयोग से, राज्य के ईसीडी मिशन में परिकल्पित परिणामों को बेहतर बनाने के लिए एक एकीकृत ईसीडी मॉडल को डिजाइन और विकसित करने में ईसीडी मिशन को तकनीकी और कार्यान्वयन सहायता प्रदान कर रहा है। सेसमी वर्कशॉप इंडिया देखभाल करने वालों और बच्चों को प्रभावी ढंग से सीखने में मदद करने के लिए खेल-आधारित शिक्षण विधियों का उपयोग करने में दुनिया भर में अग्रणी संस्था के रूप में जानी जाती है। संस्था का भारत और दुनिया भर में देखभाल करने वालों और बच्चों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का एक सफल इतिहास है।
समिट के आयोजकों के लिए एक वीडियो संदेश में, मेघालय के माननीय मुख्यमंत्री श्री कॉनराड संगमा ने इस आयोजन के लिए बधाई देते हुए एक प्रेरक भाषण दिया और कहा, “मैं बच्चों के लिए शिक्षा में खेल के महत्व पर दृढ़ता से विश्वास करता हूं। मेघालय अर्ली चाइल्डहुड डेवलपमेंट मिशन बच्चों की उम्र के प्रारंभिक वर्षों के दौरान उनके समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है।” उन्होंने बेहतर भोजन और मानसिक विकास के साथ-साथ अच्छे पालन-पोषण और मनोरंजक शिक्षा जैसे सिद्ध तरीकों का उपयोग करने पर भी बल दिया।
श्री संगमा ने मेघालय को देश के शीर्ष 10 राज्यों की श्रेणी में लाने के साझा उद्देश्य के साथ सरकारी योजनाओं के तालमेल पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने सभी हितधारकों से ईसीडी मिशन के कार्यान्वयन में एक मिशन-उन्मुख दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने इसे अपने सबसे छोटे नागरिकों के माध्यम से राज्य के भविष्य को आकार देने की आधारशिला के रूप में देखे जाने की अपील की।
मेघालय सरकार के माननीय समाज कल्याण मंत्री श्री पॉल लिंग्दोह ने कहा, “हम आज यहां ‘प्ले टू लर्न’ समिट में एकत्रित हुए हैं, मेघालय अर्ली चाइल्डहुड डेवलपमेंट मिशन, सेसमी वर्कशॉप इंडिया ट्रस्ट और हमारे सम्मानित भागीदारों के सहयोगात्मक प्रयासों को देखकर बेहद प्रसन्नता हो रही है।बच्चों के समग्र विकास में खेल एक महत्वपूर्ण पहलू है. यह बच्चों को स्मार्ट बनने में मदद करेगा और मेघालय के लिए बेहतर भविष्य का निर्माण करेगा।
मेघालय सरकार के प्रमुख सचिव श्री संपत कुमार ने इस मिशन की भावना को व्यक्त करते हुए कहा, “बच्चों का स्वाभाविक रूप से खेल के प्रति रुझान होता है और यह बेहद आवश्यक है कि हम उनके व्यापक विकास में खेल की भूमिका को स्वीकार करें। मेघालय सरकार इस मिशन के गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक बचपन की शिक्षा प्रदान करने के हमारे दृष्टिकोण को साकार करने में योगदान करने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है।”
सेसमी वर्कशॉप इंडिया मेघालय के 4 जिलों में “लर्न प्ले ग्रो” कार्यक्रम चलाने के लिए समाज कल्याण विभाग के साथ मिलकर काम कर रहा है। 2020 से एसबीआई फाउंडेशन द्वारा समर्थित, यह पहल 3000 आंगनवाड़ी केंद्रों में 90,000 बच्चों को बाल-केंद्रित, खेल/गतिविधि-आधारित पाठ्यक्रम, शैक्षणिक प्रक्रियाएं और प्रभावी तकनीक प्रदान करने के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित कर लाभान्वित कर रही है। आने वाले समय में इस पहल का विस्तार पूरे राज्य में प्रारंभिक बचपन के विकास में सहायता के लिए किया जाएगा।
एसबीआई फाउंडेशन के प्रबंध निदेशक, श्री संजय प्रकाश ने प्रारंभिक बचपन की शिक्षा की आधारशिला के रूप में खेल-आधारित शिक्षा के महत्व की सराहना की। उन्होंने कहा, “एसबीआई फाउंडेशन को पिछले 3 वर्षों से मेघालय और राज्य सरकार के प्रति अपने समर्पण पर गर्व है। हम, सेसमी वर्कशॉप इंडिया के साथ, राज्य में अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन(ईसीसीई) को बेहतर बनाने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों को जीवन में एक शानदार शुरुआत मिले। हम चाहते हैं कि जब ये बच्चे प्राथमिक से माध्यमिक स्कूल में जाएं तो अच्छा प्रदर्शन करें और अंततः भविष्य में भारत के विकास में अपना योगदान दें।”
श्री तुषारेंद्र बारपांडा, हेड- प्रोफेशनल डेवलपमेंट सेंटर, ईस्टर्न सेंटर, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग एंड फाइनेंस ने कहा, “हम मानते हैं कि प्रारंभिक बचपन का समग्र विकास बेहद महत्वपूर्ण है। आईआईबीएफ को मेघालय में बच्चों के प्रारंभिक वर्षों में विकास के लिए किए गए प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए सहयोग करने पर गर्व है। मुझे विश्वास है कि हमारी निरंतर भागीदारी मेघालय में खेल-आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने में मेघालय सरकार के प्रयासों का समर्थन करने के लिए नए विचार और रणनीतियां बनाने में मदद करेगी।”
सुश्री सोनाली खान, मैनेजिंग ट्रस्टी, सेसमी वर्कशॉप इंडिया ट्रस्ट ने कहा, “मेघालय राज्य में अर्ली चाइल्डहुड डेवलपमेंट पहल का हिस्सा बनकर मेघालय सरकार, एसबीआई फाउंडेशन और आईआईबीएफ के साथ साझेदारी करना सेसमी वर्कशॉप इंडिया के लिए एक बड़े सम्मान का विषय है।
मेरा मानना है कि खेल हमारे अंदर अन्वेषण करने, गहराई से सोचने और नए विचारों के साथ आने में मदद करने की प्राकृतिक क्षमता विकसित करता है। सेसमी वर्कशॉप ने पिछले 50 वर्षों में विश्व स्तर पर खेल और शिक्षाशास्त्र को एकीकृत किया है और इसका प्रभाव परिणामों से सिद्ध भी हुआ है। प्राथमिक देखभाल करने वाले वयस्कों के रूप में हम बच्चे के सर्वांगीण विकास के लिए खेल आधारित शिक्षा का समर्थन करें और इसका उदाहरण स्थापित करें ।”
लॉन्च के बाद, ईसीडी मिशन ने मेघालय राज्य के 10 ब्लॉकों में “ब्लॉक सम्मेलन” आयोजित किए हैं। इन आयोजनों का उद्देश्य समुदाय के नेताओं, कार्यकर्ताओं और सरकारी अधिकारियों को इस तथ्य से अवगत कराना है कि बचपन का विकास कितना महत्वपूर्ण है। ये सम्मेलन विशेष हैं, क्योंकि इनमें विभिन्न क्षेत्रों के लोग बचपन के प्रारंभिक विकास के लिए सामाजिक रूप से ‘हम’ के रूप में मिलकर काम करते हैं। यह दर्शाता है कि मिशन के लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए विभिन्न क्षेत्रों से सभी का मिलकर काम करना कितना महत्वपूर्ण है। यह मिशन इसलिए भी विशेष है क्योंकि यह समुदाय को नेतृत्व और भागीदारी में शामिल करने पर जोर देता है। इसमें समाज कल्याण, स्वास्थ्य और परिवार, शिक्षा, मेघालय राज्य ग्रामीण आजीविका सोसायटी (एमएसआरएलएस), और राज्य ग्रामीण रोजगार सोसायटी (एसआरईएस) जैसे विभिन्न विभाग एक साथ मिलकर काम रहे हैं। मिशन का मानना है कि इसकी सफलता नेतृत्व से लेकर घरेलू स्तर तक समुदायों की इस भावना पर निर्भर करती है कि वे ही इसके मालिक हैं।
इस सितंबर तक, ईसीडी मिशन ने मिशन के लिए कुछ दिशानिर्देश तैयार किए हैं। ये दिशानिर्देश मेघालय में सामान्य नागरिकों, सामुदायिक नेताओं और स्वयं सहायता समूहों जैसे सामुदायिक संस्थानों के साथ साझा किए जाएंगे। ये दिशानिर्देश उन्हें ईसीडी गतिविधियों को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे। मिशन क्लस्टर स्तर पर मास्टर ट्रेनर्स के लिए प्रशिक्षण शुरू कर चुका है। 24 अगस्त, 2023 को प्रशिक्षण का पहला बैच आयोजित किया गया, जिसमें महिला पर्यवेक्षकों, क्लस्टर समन्वयकों, आशा सुविधाकर्ताओं, क्लस्टर संसाधन व्यक्तियों, ग्राम सेवकों/सेविकाओं, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा, कम्युनिटी जेंडर हेल्थ एक्टिविस्ट (सीजीएचए), स्कूल शिक्षकों, देखभालकर्ताओं (माता, पिता और घर पर अन्य देखभाल करने वाले), स्वयं सहायता समूह के सदस्य और ग्राम संगठन (वीओ) को प्रशिक्षित किया गया। इस प्रशिक्षण से आगे वे अपने क्लस्टर स्तर के सहयोगियों को प्रशिक्षित करने में सक्षम होंगे। साथ ही वे समुदाय स्तर के पदाधिकारियों और समुदाय के नेताओं को प्रशिक्षण देना भी शुरू करेंगे। प्रक्रिया के अगले चरण में समुदाय के भीतर ईसीडी मिशन के मुख्य कार्यों को शुरू करना शामिल होगा। इन कार्यों में आंगनवाड़ी केंद्रों की गतिविधियाँ, वे कार्य जो देखभाल करने वाले घर पर करेंगे और जागरूकता बढ़ाने और समुदाय के सभी सदस्यों को शामिल करने के उद्देश्य से सामुदायिक कार्यक्रम शामिल हैं।
समिट में इस बात पर भी जोर दिया गया कि प्रारंभिक बचपन की शिक्षा के लिए शैक्षिक सामग्री बनाते समय स्थानीय समुदाय की परंपराओं और कहानियों को शामिल करना कैसे आवश्यक है। यह अक्टूबर 2022 के राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा और 2020 की नई शिक्षा नीति से मेल खाना चाहिए।
समिट ने राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (एनसीएफ, अक्टूबर 2022) और नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप ईसीसीई के लिए प्रासंगिक शिक्षण शिक्षण सामग्री विकसित करने के लिए स्थानीय संस्कृति और लोक प्रथाओं को एकीकृत करने के महत्व पर प्रकाश डाला गया। चर्चा सत्रों के दौरान बच्चों के कौशल को बढ़ाने के लिए साक्ष्य-आधारित पहल पर भी मंथन हुआ। शिक्षण समाग्री के लिए विभिन्न समुदायों को शामिल करने से शिक्षा विभिन्न संस्कृतियों के लिए अधिक उपयुक्त हो सकती है और खेल-आधारित तरीकों पर शोध करना क्यों महत्वपूर्ण है, इस मुद्दे पर भी सार्थक चर्चा हुई। समिट में ईसीडी मिशन के कार्य और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ) और एनईपी 2020 के साथ खेल-आधारित शिक्षा को जोड़ने में सेसमी वर्कशॉप इंडिया जैसे महत्वपूर्ण भागीदारों के योगदान को भी प्रेजेंटेशन के माध्यम से रखा गया। बच्चों के खेल में सहायता करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए देखभाल करने वालों की भी प्रशंसा की गई। वे एक सुरक्षित और खेल वातावरण बनाकर, आसानी से उपलब्ध सामग्री प्रदान कर और स्वतंत्र व रचनात्मक खेल को प्रोत्साहन देते हैं।