केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि मोदी सरकार के पिछले छह वर्षों के कार्यकाल के दौरान किसानों के कल्याण के लिए कई ऐतिहासिक कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने में सहायता के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य-एमएसपी में स्थिर रूप से वृद्धि की गई। नये कृषि कानूनों के मुद्दे पर डोडा, रियासी, रामबन और किश्तवाड जिलों के सरपंचों, बीडीसी अध्यक्षों, किसान संगठनों और स्थानीय कार्यकर्ताओं से बातचीत में डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य-एमएसपी और कृषि उपज और पशुधन बाजार समिति-एपीएमसी की व्यवस्था जारी रहेगी।
उन्होंने जोर देकर कहा कि इसे किसी भी कीमत पर खत्म नहीं किया जाएगा। डॉक्टर सिंह ने कहा कि कुछ निहित स्वार्थी तत्व इस व्यवस्था को समाप्त करने के बारे में भ्रम फैला रहे हैं, जिसका हर स्तर पर प्रतिकार करने की आवश्यकता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि मण्डी समितियां हमेशा की तरह खरीफ और रबी फसलों की खरीद करेंगी इस संबंध में एकमात्र फर्क यही है कि अब किसान अपने क्षेत्रों से बाहर और निजी व्यापारियों को भी उपज बेच सकते हैं किसान राज्य के अंदर या बाहर कहीं भी ऐसा कर सकता है और राज्य सरकारें इसके लिए किसानों से कोई शुल्क नहीं ले सकती हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि एक किसान अब कृषिव्यवसाय कंपनियों के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर कर सकता है और स्टॉक को वर्तमान सीमाओं से अधिक अपनी उपज रख सकता है, जोकि वास्तव में एक ऐतिहासिक परिवर्तन है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि, खरीफ विपणन सत्र 2020-21 अभी शुरू हुआ है और सरकार ने अपनी मौजूदा एमएसपी योजनाओं के अनुसार ही किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीफ 2020-21 फसलों की खरीद करना जारी रखा है। उन्होंने कहा कि, केवल दो दिन पहले केंद्रीय कृषि मंत्रालय के शीर्ष वित्त पोषण संगठन राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) ने न्यूनतम समर्थन मूल्य संचालन के तहत पहली किस्त के रूप में छत्तीसगढ़, हरियाणा और तेलंगाना राज्यों को खरीफ धान खरीद के लिए 19,444 करोड़ रुपये की राशि की मंजूरी दी है।
नए कृषि कानूनों में बिचौलियों का वर्चस्व खत्म करने को एक महत्वपूर्ण निर्णय बताते हुए, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि, यह वही वर्ग था जो अब तक किसानों की आय को खा रहा था और उनकी प्रगति के रास्ते में रुकावटें खड़ी कर रहा था। उन्होंने कहा कि, आजादी के 70 वर्षों के बाद किसानों को बिचौलियों के चंगुल से आजाद कराया गया है और अब किसान यह चुन सकते हैं कि उन्हें अपना सामान कहां बेचना है और किसको बेचना है। इस तरह किसान पहली बार उत्पादक और व्यापारी बनेंगे। उन्होंने कहा, नए कृषि कानूनों के माध्यम से लाए गए अधिनियम के अनुसार अनुबंध सिर्फ़ फसलों के लिए होगा न कि भूमि के लिए। श्री जितेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि किसानों को इस मुद्दे पर गुमराह किया जा रहा है।
डॉ जितेन्द्र सिंह ने सभी कार्यकर्ताओं से अपील की कि, वे प्रत्येक गाँव के हर एक किसान तक पहुँचें और उन्हें उनके खिलाफ रची जा रही इस बड़ी साजिश के बारे में बताएं और समझाएँ। उन्होंने कहा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई व्यापक कल्याणकारी पहल का लाभ उठाने में कृषि समुदाय सक्षम होगा।