गोण्डा हमेशा किसी न किसी वजह से सुर्खियों में बना रहता है… आज हम आपको इसी गोण्डा के एक गांव के प्रधान और सेक्रेटरी की मिली भगत का काला सच सामने बताने जा रहे हैं. जिले के मुजेहना विकास खंड के गांव रेगांव में जो सच सामने आया है उससे आप को पता चल जाएगा कि कैसे ग्राम पंचायत को मिलने वाले पैसों की ऊपर से नीचे तक लूट होती है।
इस रेगांव गांव में उन लोगों से मनरेगा मज़दूरी करायी गयी जिनकी मौत या तो छः महीने या फिर साल भर पहले हो चुकी है और इन मृतकों ने मनरेगा में मज़दूरी कर बाकायदा मानदेय भी लिया। साल भर पहले दुनिया छोड़ चुके सियाराम की पत्नी छन्नू बताती है कि साल भर पहले हमारे पति मर चुके है और पहले मनरेगा मज़दूरी करते थे अब किसने रुपया निकाला न हमने निकाला न ही जानते. जिसने निकाला उसको मन हो सज़ा दो मन हो फांसी दो. ये तो रही छन्नू की पीड़ा अब सुन लीजिए क्या पीड़ा है राम गोविंद की सुनिए उसी की जुबानी. जिसके पिता का इंतकाल इसी वर्ष 23 जनवरी को हुआ था और उसके बाद भी उन्होंने मनरेगा में मज़दूरी कर मानदेय लिया।
सरकारी रुपयों का बंदरबाँट किस तरह होता है इसकी तो सिर्फ आपने अभी एक बानगी देखी है. गांव रेगांव के प्रधान और सेक्रेटरी ने गांव में होने वाले विकास कार्यो व सरकार द्वारा चलायी जा रही जन कल्याणकारी योजनाओं में अंधी लूट मचा रखी है. रसोइया को भी मनरेगा का मज़दूर बना दिया गया और तो और भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा का आलम यह है प्रधान जी गांव के अधिकतर मनरेगा मंज़दूरों के जॉब कार्ड खुद अपनी ऑफिस में रखती है और जब मन आता है जॉब कार्ड से फोटो हटाकर दूसरे के फोटो के नाम पर भी सरकारी रुपयों के बंदरबांट का खेल अक्सर खेला जाता है और जब प्रधान फरीदा से बात करने की कोशिश की गई तो दो घण्टे तक सिर्फ यही आश्वाशन मिला कि प्रधान जी आ रही है.
स्वच्छ भारत मिशन के तहत मिलने वाले शौचालयों को पात्र व्यक्तियों को नही सरकारी नौकरी करने वालों को दिया गया है। यहां की रसोइयां नंदा देवी जंहा बताती है कि हम रसोइयां हैं और नौकरी करते हैं और हमने मनरेगा मज़दूरी नहीं की किसने रुपया हमारे नाम पर निकाल लिया है हमको पता नहीं है. वंही इसी गांव की रहने वाली राजिया खातून से जब उनको मिले शौचालय के बारे में पूछा गया. जिनका पति डाकखाने में नौकरी करता है तो राजिया ने बताया कि हमारे पति का नाम मुजाहिद है और डाकखाने में नौकरी करते हैं ये शौचालय हमको ही मिला है. ये शौचालय हमारे ही नाम से है।
इस गांव में ऐसे कई भ्रष्टाचार के नजारे देखने को मिले हैं. जिसकी शिकायत गांव वालों ने कई बार अधिकारियों से की लेकिन नतीजा शून्य रहा। मनरेगा में व्याप्त इस भ्रष्टाचार पर जब जिले के परियोजना निदेशक मनरेगा हरिश्चन्द्र राम से जवाबदेही हेतु प्रश्न पूछा गया तो वो सिर्फ कार्यवाही की दुहाई देते हुए कहने लगे कि ये मामला संज्ञान में है और इसकी जांच कराई जा रही है. एक – दो दिन में रिपोर्ट सामने आ जायेगी. निचले स्तर पर गड़बड़ी हुई है जिसने मस्टर रोल भरा है वो भी कार्यवाही की जद में है साथ ही जॉब कार्ड अगर बना है तो वो लाभार्थियों के पास होना चाहिए न कि किसी प्रधान व सिकरेट्री के पास होना चाहिए. हालांकि मनरेगा के परियोजना निदेशक जांच को तीन दिनों में पूरी होने की बात कहते हुए बच निकलने का असफल प्रयास करते नज़र आये।
सफेदपोशों और अधिकारियों ने जिले को स्वच्छ व भ्रष्टाचार से मुक्त करने के पहल चालू कर दिए लेकिन सब ढाक के तीन पात ही रहा और आलम जो क्या है वो आपके सामने है. मुजेहना विकास खण्ड का रेगांव गांव तो बस एक नमूना है ऐसे पता नही कितने गांव है जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की डिजिटल इंडिया व भ्रष्टाचारमुक्त भारत के सपने को पलीता लगाते नज़र आते है।
फिलहाल हमेशा की तरह कार्यवाही हेतु जांच कमेटी गठित करने की बात करते हुए जिले के डीएम जे बी सिंह ने को बताया कि आपके द्वारा ये मामला संज्ञान में लाया गया है जिसके लिए मैने मुख्य विकास अधिकारी को निर्देशित कर दिया है की अधिकारियों की टीम बनाकर गांव में भेजें और मामले की जांच कराए साथ ही दोषियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही कराएं।
डीएम जे बी सिंह से जब यह पूछा गया कि जब भ्रष्टाचार के मामले सामने आते है तो आप द्वारा सिर्फ कार्यवाही और जांच की बात कही जाती है लेकिन नतीज़ा शून्य होता है के जवाब में डीएम ने कहा कि मैं सीडीओ से पूछता हूँ कि जांच कमेटी की रिपोर्ट कहां है और कार्यवाही क्या की गई. अब लाख बातें करिए मोदी और योगी जो भ्रष्टाचारमुक्त भारत और डिजिटल इंडिया की जब आपके गांव की रहनुमाई करने वाले आपके सपनों में आग लगाते नज़र आ रहे हैं और उन्ही गरीबों का हक मार रहे है जो 2019 में आपके मतदाता हैं।
-यज्ञ विजय