उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के रहने वाले आलोक उपध्याय के पिता खेती करते थे. आलोक की शुरूआती पढ़ाई गांव में ही हुई. इसके बाद बीकॉम में दाखिला लिया. पूरी पढ़ाई करने के बाद आलोक ने मार्बल का बिजनेस शुरू किया. अच्छी कमाई भी हो रही थी, पिता की बढ़ती उम्र के साथ घर की सारी जिम्मेदारियां आलोक के कंधों पर आ गई.
गांव से बाहर बिजनेस करना मुश्किल हो गया. जिसके बाद 2012 में उन्होंने बिजनेस छोड़ दिया और खेती को ही अपना करियर बना लिया. उन्होंने नए तरीके से कामर्शियल फार्मिंग शुरू की.
आज वे 6 एकड़ जमीन पर नींबू और अमरुद की खेती कर रहे हैं. जिससे सालाना 15 लाख रूपये का मुनाफा कमा रहे हैं. उन्होंने केमिकल फर्टिलाइजर की जगह आर्गेनिक खाद का उपयोग किया. इससे उन्हें दोहरा लाभ मिला. एक तरफ लागत कम हुई तो दूसरी तरफ प्रोडक्शन रेट और जमीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ गयी.
आलोक तीन एकड़ जमीन पर नीम्बू और तीन एकड़ की जमीन पर अमरूद की खेती कर रहे हैं. देशी और ग्राफ्टेड दोनों ही तरह के प्लांट उन्होंने लगाए हैं. उनके बगीचे में 1100 अमरुद के और 1350 से ज्यादा प्लांट नींबू के हैं. उनके ज्यादातर फल खेत से ही बिक जाते हैं, जो बच जाता है उसे वे मंडी में भेज देते हैं. अमरुद की खेती से वे पांच लाख रूपये कमा रहे हैं, जबकि नींबू की खेती से 8 लाख रूपये मुनाफा हो रहा है.
कई बार नींबू पूरा नहीं बिक पाता था. फिर उसे संभालकर रखना मुश्किल काम है. ऐसे में उन्होंने सोचा कि आचार घर पर तैयार किया जाए. उन्होंने कुछ आचार तैयार किया और लोगों को टेस्ट के लिए दिया. जिसने भी टेस्ट किया वह आचार उसको पसंद आया. इसके बाद साल 2017 में उन्होंने आचार की मार्केटिंग शुरू की. आज हर साल 4 हजार किलो आचार की बिक्री करते हैं. आलोक उपध्याय जी ने अपनी कहानी हमें बताई आप भी अपनी कहानी हमें Namamibharat@gmail पर मेल कर सकते हैं.