मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ।आखिर शिवपाल यादव सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के चरखे में फंस ही गये। लंबे समय तक मुलायम के साये में छुपे रहे शिवपाल का संयम डोला तो नेता जी बेटे के कार्यालय पहुंच कर नए गणित की रचना कर दी। सपा मुखिया अखिलेश यादव की आंख की किरकिरी बन चुके और अब मोदी-शाह के आंख के तारे बने अमर सिंह ने मंगलवार को शिवपाल सिंह यादव को भाजपा में बुलाने का रोडमैप तैयार करने का राहयोद्घन किया था। उनकी घोषणा के 24 घंटे की भीतर ही शिवपाल ने अलग समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बना लिया। शिपपाल यादव ने सप्ताह भर पहले से ही चिल्लाना शुरू कर दिया था कि पार्टी में डेढ़ वर्षों से मेरी लगातार उपेक्षा हो रही है। बुधवार को शिवपाल यादव ने पार्टी बिना छोड़े समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बना लिया, उन्होंने यह भी ऐलान किया कि नेता जी मुलायम सिंह यादव समेत पुराने उपेक्षित समाजवादी नेता उनके साथ हैं।
उन्होंने यह भी दावा किया छोटे दलों को एक साथ लेकर प्रभावी घटक तैयार करेंगे। शिवपाल ने यह भी ऐलान किया था कि मुलायम सिंह यादव( नेता जी ) उनके साथ है। लेकिन गुरुवार को मुलायम सिंह समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के कार्यालय पहुंच कर शिवपाल यादव को विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है। समाजवादी पार्टी के जानकार वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र नाथ तिवारी का कहना है कि अभाव की पूर्ति होती है स्वभाव की नहीं।मुलायम सिंह यादव शायद ही कोई बचा हो जिसे चरखा न मारें हो तो शिवपाल यादव कैसे बच जाते।जिस दिन मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाया था उसी दिन सपा में शिवपाल का वनवास होने का खाका खिंच गया था।