उद्योग विहीन जनपद सिद्धार्थनगर में मशरूम की खेती भी की जाएगी। आपको बता दें कि बढ़नी ब्लॉक के सेवरा गांव के निवासी दीनानाथ ने किसानों को रोजगार देने के मकसद से मशरूम की खेती के बारे में सोचा है। दीनानाथ कम्पोस्ट खाद खुद तो तैयार कर ही रहे हैं, साथ ही किसानों से भी करवा रहे हैं।
दीनानाथ ने बताया कि कुछ किसान ऐसे भी हैं जो रासायनिक खाद नहीं खरीद सकते हैं। लेकिन ज्यादातर किसान अपने साथ जानवर जरूर रखते हैं। ऐसे में गौवंश के गोबर से कम्पोस्ट खाद तैयार करवा कर खेत में डाला जाता है। अलग-अलग ग्राम पंचायतों की महिलाएं समूह बना कर मशरूम की खेती कर रही हैं। मशरूम का बीज बाहर से मंगवाया जाता है और यहां किसानों को रोजगार दिया जा रहा है।
दीनानाथ जी ने हमसें खास बातचीत में बताया कि मशरूम तैयार करने में 20 से 25 दिन का समय लगता है। वहीं, कुछ मशरूम ऐसे भी होते हैं जो बाज़ार में नहीं बिकते हैं। बाज़ार में सबसे ज्यादा बटन मशरूम ही बिकता है जिसकी खेती सितंबर में की जाती है।
वहीं, जब किसानों से बात की गई तो उन्होंने भी मशरूम की खेती को बड़ा ही सराहनीय कदम बताया। उनका कहना है कि हमारी कोशिश बड़ी पैमाने पर मशरूम की खेती करने पर है। किसान परिवारों का कहना है कि मशरूम की खेती से उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत हुई है।