विश्व शांति व बंधुत्व के लिए हिंदुत्व का मार्ग ही श्रेष्ठ – आलोक कुमार
विश्व बंधुत्व दिवस पर एनडीटीएफ डीयू ने आयोजित किया विशेष कार्यक्रम
श्री आलोक कुमार, प्रो. केजी सुरेश व अनंत विजय ने रखे अपने विचार
विश्व शांति व बंधुत्व के लिए हिंदुत्व का मार्ग ही श्रेष्ठ है। हजारों सालों से हिंदुत्व की विचारधारा ने साबित किया है कि विश्व को जोड़ने और आपसी प्रेम के साथ सभी के विचारों, धार्मिक आस्थाओं व आचार व्यवहार को स्वीकार कर आगे बढ़ने का अवसर हिन्दुत्व प्रदान करता है। विश्व में जहां इस्लाम और अन्य धर्म के प्रचारकों व शासकों ने धर्म परिवर्तन का मार्ग अपनाया वहीं हिंदुत्व ने सभी को उसी रूप में उन मान्यताओं के साथ अपनाया जो कि अनुयायी को स्वीकार है। हिंदुत्व वह भाव है जो सभी को उनके वास्तविक स्वरूप के साथ स्वीकार करता है वो चाहे किसी भी विचार और मान्यता के पक्षधर क्यों न हो। आयुर्वेद व प्रणायाम आदि पर किसी धर्म विशेष का एकाधिकार व पेटेंट नहीं है। यही हिंदुत्व का भाव है जो हजारों सालों से विश्व शांति और बंधुत्व के भाव को लेकर निरंतर आगे बढ़ रहा है। स्वामी विवेकानंद ने हिंदुत्व के इसी स्वरूप को शिकागो में व्यक्त कर समूचे विश्व को हिंदुत्व से अवगत कराया था। ये विचार विश्व हिंदू परिषद् के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष श्री आलोक कुमार ने नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (एनडीटीएफ) की ओर से ‘हिंदुत्व: विश्व शांति का सशक्त मार्ग’ विषय पर आयोजित ऑनलाइन वेबिनार में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए व्यक्त किए। इस आयोजन में अतिथि वक्ता के रूप में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के जी सुरेश व वरिष्ठ पत्रकार अनंत विजय ने भी संबोधित किया।
एनडीटीएफ के बौद्धिक प्रकोष्ठ की ओर से स्वामी विवेकानंद के शिकागों में दिए गए ऐतिहासिक भाषण के 128 वर्ष होने के उपलक्ष में इस वेबिनार का आयोजन किया गया। इसमें मुख्य वक्ता श्री आलोक कुमार ने अमेरिका में हिंदुत्व के विरुद्ध होने सम्मेलन का उल्लेख करते हुए कहा कि इसमें एक खास उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए हिंदुत्व के खिलाफ दुष्प्रचार करने का प्रयास किया जा रहा है जोकि प्रामाणिकता से एकदम परे है। उन्होंने कहा कि हिन्दुत्व के विचार में सभी की स्वीकार्यता है। हिन्दुत्व विश्व समाज को जोड़ता है जबकि अन्य धर्मों में अलगाव का भाव सर्वविदित है। इतिहास गवाह है कि हिन्दुत्व ने हर किसी को उसके मौलिक रूप और विचार के साथ ही स्वीकार किया है, फिर वो चाहे यहूदी हो, पारसी हो या फिर बौध धर्म को मानने वाले हो। उन्होंने कहा कि विश्व ने हिन्दुत्व का विचार देखा, समझा और अपनाया है और विश्वशांति व बंधुत्व के भाव का प्रचार किया हैं। हिन्दुत्व ने सदैव से जगतगुरू का दायित्व निभाया है और आगे भी निभाता रहेगा।
आयोजन में शामिल अतिथि वक्ता प्रो. के जी सुरेश ने कहा कि आज समय आ गया है कि विमर्श का जवाब विमर्श के साथ दिया जाए। अगर हिंदुत्व के खिलाफ कोई नरैटिव स्थापित करने की दिशा में प्रयास करता है तो हमें भी उसके जवाब में नरैटिव प्रस्तुत करना होगा। प्रो के जी सुरेश ने अमेरिका में हिंदुत्व के खिलाफ जारी एक सम्मेलन विशेष का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके पीछे जो ताकतें सक्रिय हैं वह चाहती हैं कि विश्व में स्थापित इस्लामिक आंतकवाद के समानंतर हिन्दुत्व को स्थापित किया जाए। ये ताकतें नहीं चाहती हैं कि अफगानिस्तान के माध्यम से समूचे विश्व के समक्ष आ रहा इस्लाम के महिला विरोधी, विकास विरोधी व बंधुत्व विरोधी रूप स्थापित हो सके और इसके लिए हिंदुत्व पर प्रहार किया जा रहा है और उसके खिलाफ विश्व में प्रचार प्रसार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब समय है कि हम नारे से आगे बढ़कर विरोधियों को उनकी ही भाषा में जवाब दें। इसमें किताब का जवाब किताब से, शोध का जवाब शोध से, विमर्श का जवाब विमर्श से देना होगा। अवश्य ही एनडीटीएफ का यह प्रयास ऐसी हिंदुत्व विरोधी कोशिशों को नाकाम करने में मददगार होगा। वरिष्ठ पत्रकार अनंत विजय ने महात्मा गांधी का उल्लेख करते हुए कहा कि यशोपनिषद का उपदेश हिंदु धर्म को ना मानने वालों की शंकाओं का भी निदान करने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि जिस तरह के प्रयास हिंदुत्व के विरूद्ध में जारी है उनमें वस्तुनिष्ठता का अभाव है। यह हिन्दु धर्म ही है जो कि भगवान से भी प्रश्नों का सामना करने का अवसर प्रदान करता है। यही वो धर्म है जो संवाद का अवसर प्रदान करता है, इसमें सकारात्मकता है। हिन्दुत्व सिखाता है कि समाज विज्ञान ही धर्म विज्ञान है। हम सुकरात का उल्लेख करते हैं, प्लूटो की बात करते हैं तो यहां स्पष्ट कर दिया जाए कि वो भी हिंदू धर्म की तरह धर्म को ज्ञान का अभिन्न अंग मानते थे।
कार्यक्रम में एनडीटीएफ के अध्यक्ष डॉ. ए के भागी ने कहा कि हम किसी के झूठे प्रयास का जवाब देने के लिए सामने नहीं आए है बल्कि हम तो हिन्दू धर्म के आधार संवाद को सामने लेकर आए हैं। यकीनन हमारा यह प्रयास हिन्दुत्व की विचारधारा को नुकसान पहुंचाने वालों के विरूद्ध विचार प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा कि अवश्य ही हमारे कार्यक्रम के सहभागी इस विचार को हजारों, लाखों लोगों के बीच लेकर जायेंगें। डॉ. भागी ने कहा कि कोई भी ऐसी कोशिश जो हिन्दुत्व के विचार को नुकसान पहुंचाना चाहती है वो कभी सफल नहीं हो पाएगी। कार्यक्रम के अंत में डॉ. सलोनी गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। आयोजन में पूर्व अध्यक्ष व मार्गदर्शक एन के कक्कड़, इंद्र मोहन कपाही, महासचिव डॉ. वीएस नेगी, डॉ. सलोनी गुप्ता, डॉ. मनोज कैन सहित भारी संख्या में शिक्षक शामिल हुए।