प्रदुषण की मार झेलता राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) पुरे देश में ‘समस्या एक, समाधान अनेक किन्तु नतीजा कुछ नहीं’ की एक अनोखी मिसाल बन कर रह गया है| करीब करीब दो दशक पुरानी प्रदुषण की इस समस्या को हल करने के लिए आज तक अनेक कार्यक्रम बने और कुछ पर कार्य भी हुआ, लेकिन वर्तमान परिस्थिति यही है कि प्रदुषण का स्तर दिल्ली और आस पास के शहरों में बढ़ता ही रहा है| विशेषज्ञों के अनुसार एनसीआर में प्रदुषण की बढ़ती समस्या के पीछे एक महत्वपूर्ण वजह है कि आज तक जितने भी कार्यक्रम बने उनका कार्यान्वन या तो आधा-अधूरा रहा या फिर उनकी सुध तभी ली गयी जब जब प्रदुषण का स्तर सारी सीमाओं को पार कर गया|
“ऑड-इवन, सिर्फ CNG से चलने वाली बसें, निर्माण कार्यों पर रोक हो या फिर प्रदुषण फ़ैलाने वाले उद्योगों के खिलाफ कार्रवाई करना, ऐसे पता नहीं कितने कार्यक्रम अब तक बन चुके हैं, लेकिन किसी एक पर भी इस तरह से कार्य नहीं किया गया कि वह पूरी तरह से लागू हो सके| ऑड-इवन जैसे कुछ कार्यक्रम ऐसे नहीं हैं जो कि आप हमेशा चला सके| लेकिन CNG-चलित सार्वजनिक वाहन और उद्योग ऐसे दो मुद्दे हैं जो कि प्रदुषण की स्थिति में कुछ वास्तविक परिवर्तन ला सकते थे| लेकिन इनका भी कार्यान्वन या तो आधा-अधूरा रहा है या फिर उस स्तर पर नहीं हो पाया कि एनसीआर में आने वाले सारे शहर इसके लिए मिल कर प्रयास कर सकें,” सेंट्रल पॉलुशन कण्ट्रोल बोर्ड (CPCB) के एक अधिकारी ने एनसीआर में प्रदुषण की समस्या पर अपने विचार रखते हुए बताया| उन्होंने अपना नाम गुप्त रखने की प्रार्थना की थी|
इसी सिलसिले में उन्होंने एनसीआर में आने वाली औद्योगिक इकाइयों को PNG से जोड़ने की बात भी कही, ताकि उनके द्वारा कोयला, लकड़ी, डीजल, रबर इत्यादि का उपयोग बंद हो सके| उल्लेखनीय है कि सिर्फ दिल्ली में करीब 1600 ऐसी इकाइयां हैं जो कि वायु प्रदुषण करने वाले ईंधन का उपयोग करती हैं, और हर साल ठण्ड के महीने में जब प्रदुषण सारी सीमाओं को पार कर जाता है, जब सारा सरकारी तंत्र इन पर कार्रवाई करने के लिए आदेश देने लग जाता है|
ऐसा ही एक आदेश कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग (CAQM) द्वारा पिछले साल दिसंबर में दिया गया था| चौंकाने वाली बात यह है कि अभी पिछले ही महीने CAQM ने ऐसा ही मिलता जुलता आदेश फिर से दिया कि वायु प्रदुषण करने वाले सारे औद्योगिक इकाइयों को या तो PNG में बदला जाये या फिर उन पर ताला लगा दिया जाये|
दूसरी तरफ CPCB के आंकड़ों के हिसाब से दिल्ली तथा आस पास के शहरों में आज भी बड़ी संख्या में ऐसे उद्योग चल रहे जो कि या तो कोयले पर निर्भर हैं या फिर उन इंधनो का उपयोग कर रहे हैं जो कि वायु प्रदुषण की वजह बन चुके हैं| CAQM के आदेश के बावजूद वास्तविकता यह है कि दिल्ली के साथ, 100 किलोमीटर की परिधि में ऐसे कई शहर हैं – पलवल, खुर्जा, फरीदाबाद, बुलंदशहर, इत्यादि – जहाँ धड़ल्ले से कोयला, डीज़ल, लकड़ी, रबर इत्यादि का इस्तेमाल हो रहा है|
हैरानी की बात यह है कि फरीदाबाद, पलवल, नॉएडा, खुर्जा इत्यादि शहर ऐसे हैं जहाँ सरकार की सकारात्मक नीति की वजह से काफी बड़ी मात्रा में PNG की उपलब्धता है| “फिर भी इन शहरों में आज भी अनाधिकृत तौर पर PNG की जगह कोयला इत्यादि का इस्तेमाल होता है| ऐसी कई औद्योगिक इकाइयां हैं जो कि PNG कनेक्शन लेने के बाद भी गैरकानूनी रूप से कोयले का इस्तेमाल कर रही हैं| इसीलिए यह जरूरी हो जाता है कि कमीशन के निर्देशों का सख्ती से पालन किया जाये और ऐसी औद्योगिक इकाइयों को बंद किया जाये जो कि अनधिकृत ईंधन का इस्तेमाल कर रही हैं|,” XXXX ने कहा|
फिलहाल CAQM द्वारा त्यार किया गया 40 फ्लाइंग स्क्वाड एनसीआर के भिन्न भिन्न औद्योगिक इलाकों में जा कर ऐसी इकाइयों पर कार्रवाई करने में लगा हुआ है जो कि वायु प्रदुषण को बढ़ाने में लगे हुए हैं| बीते एक हफ्ते में इन फ्लाइंग स्क्वाड्स ने दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में क्रमशः 30, 23, 43 और 15 इकाइयों के बंद भी किया है|
इसी तर्ज़ पर, एनसीआर में प्रदुषण पर लगाम कसने के लिए सारे सार्वजनिक वाहनों को CNG में परिवर्तित करने का निर्देश दिया गया था| सितम्प्बर के महीने में दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने एनसीआर के सारे राज्यों को सुझाव दिया था कि उनके द्वारा चलायी जाने वाले सारे सार्वजनिक वाहन CNG में तब्दील किये जाये| राय ने यह भी कहा था कि हालाँकि दिल्ली में सारे सार्वजनिक वाहन CNG से चलते हैं लेकिन पडोसी राज्यों से आने वाली बसें इत्यादि आज भी डीजल का इस्तेमाल कर रही हैं|
हालाँकि 2017-18 के दौरान उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब रोडवेज की बहुत सारी बसों को CNG में बदला गया था, लेकिन आज स्तिथि फिर से ऐसी हो गयी है उनके पास बहुतायत में गैर-CNG बसें हैं| सार्वजनिक वाहनों से होने वाले वायु प्रदुषण को रोकने के लिए दिल्ली सरकार ने नवंबर के महीने में पडोसी राज्यों – हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान – को चिट्ठी लिख कर आग्रह किया था की पांच साल से पुरानी बसों को दिल्ली के लिए ना चलाये|
अभी फिलहाल परिस्थिति यह है कि CAQM ने 12 दिसंबर तक वायु प्रदुषण करने वाली औद्यगिक इकाइयों पर पूरी तरह से प्रतिबन्ध लगा दिया है| उम्मीद की जा रही है कि कमीशन इस प्रतिबन्ध की अभी कुछ और दिन के लिए बढ़ा देगी, अन्यथा अभी तक प्रदुषण में जितनी भी कमी आयी है वो फिर से बेकार हो जायेगा| CAQM द्वारा लगाए गए प्रतिबन्ध के बाद दिल्ली और आस पास के इलाकों में वायु प्रदुषण में काफी कमी आयी है| आज जहाँ दिल्ली की हवा ख़राब कैटेगरी में है, वहीं गुडगाँव में यह हानिकारक लेवल पर है| प्रतिबन्ध लगाने से पहले यह लेवल दोनों ही शहर में काफी ज्यादा हानिकारक केटेगरी में थी|