सत्रहवीं लोकसभा और नया संसद भवन

विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का हिस्सा बनकर आपको भी बहुत खुशी होती होगी। आखिरकार हम भारत के लोग ही तो अपने बहुमूल्य मताधिकार का प्रयोग करके इस महान लोकतंत्र को जीवंत बनाए हुए हैं और हमारे द्वारा आम चुनाव में चुने हुए जनप्रतिनिधि ही तो सांसद बनकर संसद भवन में पहुंचते हैं। लोकसभा की सदस्यता ग्रहण करके वें इस देश के करोड़ों लोगों की जिम्मेदारी उठाते हैं।

आजादी के बाद 1950-51 में पहली बार आम चुनाव हुए तत्पश्चात पहली लोकसभा का गठन हुआ और तब से लेकर अब तक विभिन्न चुनावों से होता हुआ यह सिलसिला अब 17वीं लोकसभा तक आ पहुंचा है।

17वीं लोकसभा की पहली बैठक 17 जून 2019 को हुई और दो दिनों तक सभी नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाई गई। इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष के गरिमामयी पद के लिए कुछ नामों की चर्चा मीडिया के द्वारा की जाने लगी। इसके बाद 19 जून 2019 को राजस्थान के कोटा-बूंदी संसदीय क्षेत्र से लगातार दूसरी बार निर्वाचित सांसद, ओम बिरला जी ने लोकसभा अध्यक्ष का कार्यभार संभाला और तब से ही, 17वीं लोकसभा ने नित नए कीर्तिमान स्थापित करना प्रारंभ कर दिया। कार्य उत्पादकता के लिहाज से देखा जाए तो 17वीं लोकसभा ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए।

इसी के साथ एक विशेष रिकॉर्ड भी 17वीं लोकसभा के द्वारा बनने जा रहा है, जो कि अपने आप में ही सबसे अलग और विशेष होगा। जी हां, क्योंकि अब विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को एक नया संसद भवन मिलने जा रहा है जिस पर तेज़ी से दिन-रात काम चल रहा है और 17वीं लोकसभा के सांसद ही अकेले ऐसे सांसद होंगे जो अपने एक ही कार्यकाल में दो अलग-अलग संसद भवनों की शोभा बढ़ाएंगे। 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से वें वर्तमान संसद भवन से अपनी सेवाएं दे ही रहे हैं और आगे नए संसद भवन में बैठने वाले वे पहले सांसद होने का दर्जा भी पाएंगे, जहां बैठकर वें देश के लिए महत्वपूर्ण कार्यों को अंजाम देंगे। इस प्रकार 17वीं लोकसभा के सांसद अपने एक ही कार्यकाल में दो अलग-अलग संसद भवनों में पहुँचने का गौरव भी प्राप्त करेंगें।

वर्तमान संसद भवन अंग्रेजों के द्वारा उस समय की आवश्यकता के अनुरूप बनाया गया था जो कि समय के साथ बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ होता जा रहा है। नए संसद भवन की मांग तो पंद्रहवीं लोकसभा से ही उठने लगी थी लेकिन 17वीं लोकसभा में नए संसद भवन के प्रस्ताव पर मुहर लगी। नया संसद भवन ना केवल आधुनिक होगा बल्कि यह सर्व सुविधा युक्त नई तकनीक से सुसज्जित भी होगा जो भविष्य की जरूरतों को भी पूरा कर सकेगा।

जैसा कि हम जानते हैं कि भारत की संसद में द्विसदनीय व्यवस्था है, जिन्हें लोकसभा और राज्यसभा के रूप में जाना जाता है। दोनों ही सदनों के सदस्य सांसद कहलाते हैं और यह सभी माननीय सांसद नई संसद के दो अलग-अलग कक्षों में बैठकर काम करते हुए देश की प्रगति में सहायक बनेंगे। देश के नए संसद भवन से भारत, विश्व में नए कीर्तिमान स्थापित करें और हम सब प्रगति पथ पर निरंतर आगे बढ़े, बस यही कामना है।

एजेंद्र कुमार
कंसल्टेंट, लोकसभा टीवी

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