अपने हरित ऊर्जा उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए, तेल और प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड (ओएनजीसी) ने भारतीय सौर ऊर्जा निगम (एसईसीआई) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओय) पर हस्ताक्षर किया है। दोनों सरकारी ऊर्जा कंपनियों की ओर से ओएनजीसी के सीएमडी सुभाष कुमार और एसईसीआई के एमडी सुमन शर्मा ने आज, 2 दिसंबर 2021 को नई दिल्ली में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। समझौता ज्ञापन के तहत ओएनजीसी और एसईसीआई सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, सौर पार्क, ईवी इंफ्रास्ट्रक्चर, हरित हाइड्रोजन, भंडारण सहित अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं को शुरू करने के लिए व्यापक ढांचा बनाने में एक दूसरे को सहयोग करेंगे।
यह साझेदारी ओएनजीसी को नवीकरणीय ऊर्जा, विशेष रूप से सौर ऊर्जा में अपनी पकड़ को मजबूत करने में सक्षम बनाएगी
इस अवसर पर बोलते हुए, श्री सुभाष कुमार ने कहा, “जब हम जलवायु परिवर्तन चुनौती की भयावहता और जटिलता को महसूस कर रहे हैं, तो हम देश की ऊर्जा सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को भी समझते हैं। इसके साथ ही हम अपने व्यवसाय को एक लंबे समय तक चल सकने वाले मॉडल से चलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ओएनजीसी के पास अपने हरित ऊर्जा पोर्टफोलियो को समृद्ध बनाने के लिए एक बहुआयामी रणनीति है और प्रभावी कार्बन प्रबंधन और अक्षय ऊर्जा क्षमता को साथ लाकर जीरो कार्बन उर्त्सजन की ओर बढ़ने की योजना भी है।
सुश्री सुमन शर्मा ने कहा, “एसईसीआई इस पथ-प्रदर्शक पहल में ओएनजीसी के साथ जुड़कर खुश है जो सतत विकास के नए रास्ते खोलेगा और भारत को प्रौद्योगिकी और पैमाने के नए मोर्चे पर ले जाने का वादा करेगा। हम भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए समर्पित हैं और एक सतत साझेदारी की आशा करते हैं।”
ओएनजीसी के सीएमडी और एसईसीआई के एमडी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करते हुए
ओएनजीसी, भारत की अग्रणी तेल और गैस कंपनी, ऊर्जा के विभिन्न विकल्पों और नवीकरणीय स्रोतों के माध्यम से हरित ऊर्जा एजेंडा को आगे बढ़ा रही है। कंपनी ने मुख्य ईएंडपी व्यवसाय पर अपना ध्यान जारी रखते हुए 2040 तक न्यूनतम 10 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है।
ओएनजीसी ग्लोबल मीथेन इनिशिएटिव (जीएमआई) का हिस्सा बनने वाली पहली गैर-अमेरिकी कंपनी है। अकेले इस कार्यक्रम के माध्यम से, ओएनजीसी लगभग 20.48 एमएमएससीएम मीथेन गैस के रिसाव को वातावरण में जाने से रोक सकता है। यह 3 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड गैस उर्त्सजन के बराबर होगा। जीरो कार्बन उत्सर्जन में सीसीयूएस प्रौद्योगिकी के रणनीतिक महत्व को ध्यान में रखते हुए, ओएनजीसी जर्जर तेल क्षेत्रों से संवर्धित तेल निकालने (ईओआर) के लिए आईओसी के साथ एक सीसीयूएस परियोजना स्थापित करने के लिए साझेदारी कर रहा है। यह परियोजना आईओसी की कोयली रिफाइनरी से प्राप्त कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) का उपयोग गुजरात में गांधार के जर्जर तेल क्षेत्रों से तेल निकालने के लिए करेगी। ओएनजीसी भारत की पहली 200-300 मेगावाट पवन अपतटीय विद्युत परियोजना शुरू करने पर भी विचार कर रही है। कंपनी इसके लिए एनटीपीसी लिमिटेड के साथ संयुक्त रूप से व्यवहार्यता अध्ययन कर रही है।