एक तरफ जहाँ चुनावी मौसम में बीजेपी राम के नाम पर कोर्ट के आदेशों के अनुसार राम मंदिर निर्माण की बात कर रही है वहीं दूसरी तरफ अयोध्या के संत राम मंदिर को लेकर बीजेपी नेताओं के बयानों से नाराज होते जा रहे हैं। हाल ही में वित्त राज्य मंत्री के अयोध्या में दिए गए बयान पर महंत सतेन्द्र दास ने कड़ी प्रतिकृया जाहिर की थी गौरतलब है कि वित्त मंत्री शिवप्रताप शुक्ल ने कहा था कि राम मंदिर कभी बीजेपी के घोषणापत्र में नही रहा मंदिर निर्माण कोर्ट के आदेश के बाद ही होगा। राम मंदिर मामले पर आरएसएस भी मोदी सरकार से सवाल पूछ रही है। लेकिन एबीपी न्यूज़ पर हुए एक स्टिंग आॅपरेशन ने सबको चौंका दिया है। एबीपी न्यूज के खूफिया कैमरे में कई चौंकाने वाले बयान कैद हुए हैं।
एबीपी न्यूज के खास कार्यक्रम ऑपरेशन सौगंध में अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर प्रस्तावित राम मंदिर के निरीक्षक भागीरथ पचेरीवाला का स्टिंग किया जिसमें वो 2019 के आम चुनावों से पहले मंदिर निर्माण का दावा कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस सिलसिले में दिल्ली से फोन आने की बात भी कही है। इस स्टिंग में बीजेपी पूर्व सांसद विनय कटियार,बीजेपी पूर्व सांसद रामविलास वेदांती,बीएचपी संगठन मंत्री गुजरात ईकाई कामेंद्र राठौर,रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यंगोपाल दास,धर्म सेना प्रमुख संतोष दूबे,बीजेपी राष्ट्रीय परिषद के सदस्य बाँके बिहारी त्रिपाठी,और लक्ष्मण सेना के प्रमुख रामजी गुप्ता मंदिर निर्माण को लेकर ऊपर से आए निर्देशों की बात कर रहे हैं।
गौरतलब है कि बाबरी मस्जिद का मामला 28 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में आया था लेकिन उसे जनवरी तक के लिए आगे बढ़ा दिया गया था। अदालत के जनवरी में सुनवाई की बात के बाद से ही भगवा संगठन के लोग अदालत के खिलाफ खुल कर सामने आ गए हैं और अब तो साफ़ साफ़ कहा जा रहा है कि हम अदालत का फैसला मानने के लिए बाध्य नहीं हैं, और कानून तोड़ मंदिर बनाने की तैयारियों में जुट गए हैं,
भगवा संगठन के लोग 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले देश का माहौल गरमाना चाहते हैं, इसके लिए अगर दंगे, हत्याएं भी की जाती हैं तो इन्हें इस को करने में कोई समस्या नहीं है।
चुनावी मौसम है तो राम मंदिर का मुद्दा हिट है.इस बीच शिवसेना ने पूरे मुद्दे को हथियाने की कवायद शुरू कर दी है. उद्धव ठाकरे ने शिवाजी की जन्मस्थली से मिट्टी भर ली है और कलश लेकर अयोध्या पहुंचने के लिए तैयार हैं. राम की नगरी में तैयारियां जोरों पर हैं. 25 नवंबर की बैठक के लिए साधु संत भी जमा होने लगे हैं. यानी राम मंदिर के लिए लोगों का धैर्य जवाब देने लगा है और सत्तारुढ़ पार्टी पर दबाव दोगुना होने लगा है. शायद यही वजह है कि बीजेपी बार-बार मंदिर के वादे कर रही है और कांग्रेस इसे झांसा बता रही है.