संतोष तिवारी। देश के कई राज्यों में बर्ड फ्लू से हजारों पक्षियों के मरने की पुष्टि हो चुकी है. कई राज्यों में अलर्ट जारी हो गया है. हिमाचल प्रदेश, केरल, राजस्थान में बर्ड फ्लू के चलते हजारों पक्षी मर गए हैं. हिमाचल में इस मौसम में प्रवासी पक्षी बहुतायत में कांगड़ा और आसपास के इलाकों में आते हैं.पोल्ट्री फॉर्म के उत्पाद नहीं खाने की सलाह दी गई है. ये बीमारी इंसानों तक भी पहुंच सकती है. ये जानलेवा भी हो सकती है. क्या है बर्ड फ्लू और क्यों इससे सावधान रहना जरूरी है. ये जानने की जरूरत है. दरअसल बर्ड फ्लू को एवियन एंफ्लुएंजा भी कहते हैं. ये एक तरह का वायरल इंफेक्शन है, जो पक्षियों से मनुष्यों को भी हो सकता है. ये जानलेवा भी हो सकता है. इंसानों में बर्ड फ्लू का इतिहास छोटा है. अत्यधिक रोगजनक एविएन इन्फ्लुएन्जा से बीमारी का पहला इंसानी मामला 1997 में उजागर हुआ था. वायरस में म्यूटेशन अक्सर होते रहता है. किसी इंसान को संक्रमित पक्षियों या उनके संक्रमित पंख या मल के संपर्क में आने से बर्ड फ्लू हो सकता है. इंसानों से इंसानों में बीमारी फैलने के छिटपुट मामले सामने आए हैं. इसका सबसे आम रूप H5N1 एवियन एंफ्लुएंजा कहलाता है. ये बेहद संक्रामक है. समय पर इलाज न मिलने पर जानलेवा हो सकता है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक सबसे पहले एवियन एंफ्लुएंजा के मामले साल 1997 में दिखे. संक्रमित होने वाले लगभग 60 प्रतिशत लोगों की जान चली गई. एवियन एंफ्लुएंजा वायरस H5N1 को बर्ड फ्लू का सबसे बड़ा कारण माना जाता है. ये वायरस पक्षियों के साथ ही इन्सानों के लिए भी खतरनाक होता है. इन्सानों में इसके लक्षण सामान्य होते हैं, इसमें सर्दी, जुकाम, सांस में तकलीफ और बार-बार उल्टी आने जैसी दिक्कतें होती हैं.इसके वायरस वहीं फैलते हैं जहां पक्षियों की काफी तादाद होती है. इनके संपर्क में जो भी आता है, उसमें सांस के जरिए वायरस शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. बर्ड फ्लू की कई किस्में होती हैं. इनमें 05 वायरस होते हैं. ये H7N3, H7N7, H7H9, H9N2 और H5N1 हैं. इसमें H5N1 सबसे खतरनाक वायरस होता है. हर बार इसके वायरस स्ट्रेन बदलते रहते हैं. इनकी दो प्रापर्टीज होती हैं. इनमें एंटीजेनिक शिफ्ट और एंटीजेनिक डिफ़ट शामिल होता है. बर्ड फ्लू इतना खतरनाक है कि कब महामारी का रूप ले ले कोई कह नहीं सकता. ये बीमारी संक्रमित मुर्गियों या अन्य पक्षियों के करीब रहने से ही फैलती है. अगर बर्ड फ्लू का वायरस मुर्गियों में भी पाया गया, तो यह सबसे बड़ा खतरा बन जाएगा. मुर्गियों से इंसानों में वायरस फैलने की अधिक संभावना रहती है. 2008 में जनवरी से मई के दौरान एवियन इनफ्लूंजा का अब तक का सबसे बड़ प्रकोप पश्चिम बंगाल में हुआ था । इस दौरान इस राज्य में 68 स्थानों पर यह बीमारी फैली थी जिसमें 42 लाख 62 हजार पक्षियों को मारा गया था और इसके लिए 1229 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति राशि दी गयी थी । असम में वर्ष 2008 के नवम्बर – दिसम्बर में यह बीमारी 18 स्थानों पर फैली थी जिसमें पांच लाख नौ हजार पक्षियों को मारा गया था । इसके लिए 1.7 करोड़ रुपये की मुआवजा राशि दी गई थी। देेश में अब तक 49 बार अलग अलग राज्यों में 225 स्थानों पर यह बीमारी फैली है जिसमें करीब 83.5 लाख पक्षियों को मारा गया है और इसके लिए 26 करोड़ रुपये से अधिक की मुआवजा राशि दी गई है। देश में पहली बार 2017 में दिल्ली , मध्य प्रदेश , केरल , कर्नाटक , पंजाब और हरियाणा में प्रवासी पक्षियों एवं कुक्कुट में एक नया वासरस एच5एन8 की सूचना मिली थी। देश में बर्ड फ्लू की रोकथाम तथा निगरानी के लिए वर्ष 2013 में निगरानी योजना तैयार की गयी थी और राज्यों में प्रयोगशालाओं की स्थापना की गयी थी । वर्ष 2015 में इस बीमारी के नियंत्रण कार्य योजना को संशोधित किया गया था । जालंधर , कोलकाता , बेंगलूरु और बरेली में प्री फैबरिकेटेड बायोसेंट्री स्तर 3 प्रयोगशालाएं स्थापित की गई। इसके अलावा सीमावर्ती क्षेत्रों में कड़ी चौकसी बरती जा रही है । बर्ड फ्लू या इवियन इंफ्लूएंजा एक तरह का वायरस था जो पक्षियों व इंसानों में तेजी से फैला ये 1996 में चाइना से फैला। ये सबसे ज्यादा चिकन, टर्की, बत्तख में हुए और इनकी वजह से इंसानों में पहुंचें। ऐसे लोग जो पक्षियों के संपर्क में ज्यादा रहते थे उन्हें इसका खतरा ज्यादा था। ये वायरस भी नाक, मुंह या आंखों के जरिए ही फैलता था। 2003-2004 में फ्लू की वजह से लाखों मुर्गों और जलपक्षियों की मौत हो गई। वर्ष 2008 में जनवरी से मई के दौरान एवियन इनफ्लूंजा का सबसे बड़ा प्रकोप पश्चिम बंगाल में हुआ था जिसमें 42 लाख 62 हजार पक्षियों को मारा गया था और इसके लिए 1229 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया था। असम में साल 2008 के नवम्बर-दिसम्बर में यह बीमारी 18 जगहों पर फैली थी जिसमें पांच लाख नौ हजार पक्षियों को मारा गया था और इसके लिए 1.7 करोड़ रुपए की मुआवजा राशि दी गयी थी। देश में अब तक 49 बार अलग अलग राज्यों में 225 जगहों पर ये बीमारी फैल चुकी है। वायरस का प्रकार एवियन इन्फ्लूएंजा ए (H5N1) अत्यधिक रोगजनक वायरस है. मनुष्यों में इसे पहली बार 1997 में पाया गया, जब चीन के विशेष प्रशासनिक क्षेत्र हांगकांग में एक पोल्ट्री में इस वायरस का प्रकोप मिला. 2003 में इसके फिर से उभरने के बाद से, ए (H5N1) का प्रकोप एशिया, यूरोप और अफ्रीका में पोल्ट्री तक पहुंच गई. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 16 देशों की 846 प्रयोगशालों ने मानव में वायरस के मामलों की पुष्टि की. 2003 से 2016 तक एवियन इन्फ्लूएंजा ए (H5N1) वायरस मरने वालों की संख्या 449 थी. इन 16 देशों में से 4 दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में थे बांग्लादेश, म्यांमार, इंडोनेशिया और थाईलैंड I
कोरोना की तरह बर्ड फ्लू भी है चीन की देन
Vikas Yadav
News Reporter
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