
बिस्मिल्लाह खान
राम नगरी अयोध्या में मंदिर मस्जिद विवाद समाप्त होने के बाद जहां मंदिर निर्माण का कार्य शुरू कर दिया गया है तो वही धन्नीपुर मस्जिद निर्माण की भी तैयारी है। लेकिन इस मंदिर मस्जिद विवाद को लेकर आज भी राजनीति बंद नही है। जहां सांसद ओवैसी ने मंदिर ही नही अब धन्नीपुर बनने वाली मस्जिद निर्माण पर विवादित बयान दिया है जिसको लेकर अयोध्या के संतों में नाराजगी ही नहीं बल्कि महंत परमहंस दास ने ओवैसी पर नफरत भड़काने का आरोप भी लगाया है।तो वही दूसरी ओर बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने ओवैसी चेतावनी दी कि मुस्लिम समाज के लोगों को भड़काने का काम ना करें।
तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास ने कहा कि एक सांसद होकर के इस तरह के गैर जिम्मेदाराना और असंवैधानिक भाषण देना निश्चित रूप से देशद्रोह की श्रेणी में है ओवैसी देश का ऐसा गद्दार व्यक्ति है जो हमेशा भड़काऊ भाषण देकर लड़ाने की बात करता रहता है जब सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया है और सर्वोच्च न्यायालय के जजमेंट पर धन्नीपुर में जो निर्माण हो रहा है उसको लेकर अगर यह प्रश्न खड़ा किया जा रहा है तो यह न्यायपालिका पर प्रश्न चिन्ह है. न्यायपालिका पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करने का किसी को अधिकार नहीं है यह संवैधानिक है अमर्यादित है भड़काऊ भाषण है और असदुद्दीन ओवैसी के भाषण पर रासुका लगना चाहिए इनको सलाखों के पीछे होना चाहिए. यह जब देखो तब हमेशा देश को तोड़ने की बात करते हैं हमेशा लड़ाने की बात करते हैं. असदुद्दीन ओवैसी का भाषण हमेशा भड़काऊ होता है कभी इन्होंने देश हित की बात नहीं की अपने निजी स्वार्थ में हमेशा लोगों को लड़ाने की बात करते हैं देश के मुसलमानों को इनसे सावधान होकर के ओवैसी जैसे नफरत फैलाने वाले मुस्लिम है. इनको देश का गद्दार समझकर के इन को दरकिनार करने की आवश्यकता है।
बाबरी पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने कहा में जो 5 एकड़ जमीन मिली है उसमें स्कूल बन रहा है मस्जिद बन रही है हॉस्पिटल बन रहा है उन्होंने फतवा जारी किया है कि कोई उसमें नमाज ना पड़े चंदा ना दें कौम को चाहिए कि उनकी बात का बिल्कुल ध्यान ना दें क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश कर दिया है वह काम हो रहा है उसको होने दें अब सारे विवाद खत्म हो चुके हैं हिंदू मुसलमानों में एकता है अब अमन चैन की बात हो रही है विकास की बात हो रही है अब मस्जिद और मंदिर की राजनीति बिल्कुल नहीं होनी चाहिए ओवैसी साहब को चाहिए कि ऐसा फतवा ना दें और मुसलमानों को नुकशान उठाना पड़े।