पार्किंग माफियाओं की सांठगांठ के कारण दिल्ली में पार्किंग गंभीर समस्या: सौरभ भारद्वाज

 भाजपा ने 2012 के मेनिफेस्टों में 100 मल्टीलेवल पार्किंग का वादा किया था लेकिन इन 10 सालों में 100 गाड़ियों की पार्किंग तक नहीं बना पाए- C*

*- 2017 के चुनाव में साउथ एमसीडी ने 27 पार्किंग का वादा किया, भाजपा उसमें भी फेल रही- सौरभ भारद्वाज*

*- 2 करोड़ की आबादी के अनुसार दिल्ली में करीब एक करोड़ वाहनों की पार्किंग की ज़रूरत है- सौरभ भारद्वाज*

*- सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने पार्किंग को लेकर एमसीडी को कई बार फटकार लगाई है- सौरभ भारद्वाज*

*- अस्पतालों और मॉल्स की पार्किंग पर अवैध रूप से शुल्क लिया जा रहा है- C

आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की जनता को एमसीडी के मुख्य कामों के अवगत कराने के लिए एक नई सीरीज की शुरुआत की है। इसी के तहत आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली में पार्किंग की समस्या को उठाया। उन्होंने कहा कि दिल्ली में पार्किंग एक गंभीर समस्या बनी हुई है। जिसके लिए सिर्फ और सिर्फ भाजपा शासित एमसीडी ज़िम्मेदार है। फ्रॉस्ट एंड सुलिवन नामक संस्था की स्टडी के अनुसार दिल्ली में औसतन एक व्यक्ति अपनी ज़िंदगी के 80 घंटे सिर्फ पार्किंग ढूंढ़ने में लगा देता है। भाजपा ने 2012 के मेनिफेस्टों में 100 मल्टीलेवल पार्किंग का वादा किया था लेकिन इन 10 सालों में 100 गाड़ियों की पार्किंग तक नहीं बना पाए। 2017 के चुनाव में साउथ एमसीडी ने 27 पार्किंग का वादा किया, भाजपा उसमें भी फेल रही। 2 करोड़ की आबादी के अनुसार दिल्ली में करीब एक करोड़ वाहनों की पार्किंग की ज़रूरत है। सौरभ भारद्वाज ने भाजपा शासित एमसीडी पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने पार्किंग को लेकर एमसीडी को कई बार फटकार लगाई है। अस्पतालों और मॉल्स की पार्किंग पूरी तरह मुफ्त होती हैं लेकिन एमसीडी और पार्किंग माफियाओं की सांठगांठ के कारण अवैध रूप से शुल्क लिया जा रहा है।

आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और ग्रेटर कैलाश से विधायक सौरभ भारद्वाज ने मंगलवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित किया। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि आज से आम आदमी पार्टी एमसीडी के विषय में एक नई सीरीज की शुरुआत कर रही है। जिसके माध्यम से हम दिल्ली के लोगों को शिक्षित करेंगे कि क्या-क्या काम हैं जो सीधे-सीधे एमसीडी के अंतर्गत आते हैं। दिल्ली में विभिन्न एजेंसियां होने के कारण बहुत सारे लोगों को हमेशा यह उलझन रहती है कि यह काम दिल्ली सरकार का है या एमसीडी का है या केंद्र का है। किसको करना था और किसने नहीं किया है।

आज हम एक बहुत बड़ी शहरी समस्या उठाने जा रहे हैं जो सीधा-सीधा दिल्ली की एमसीडी के अंदर आता है। यह दिल्ली में कार पार्किंग की समस्या है। चाहे आप कहीं भी रहते हों, दिल्ली में गाड़ी खड़ी करना अपने आप में एक सबसे बड़ी समस्या है। मार्केट्स में पार्किंग की बात हो, दफ्तरों के बाहर पार्किंग की बात हो या कॉमर्शियल क्षेत्र में पार्किंग की बात हो, हर जगह पार्किंग एक बड़ी समस्या बनी हुई है। सही पार्किंग नहीं उपलब्ध होने के कारण सड़कों पर लोग इधर-उधर पार्किंग करते हैं। जिसकी वजह से न सिर्फ ट्राफिक जाम की समस्या होती है बल्कि अन्य कई समस्याएं खड़ी हो जाती हैं।

उन्होंने कहा कि फ्रॉस्ट एंड सुलिवन नामक संस्था ने दिल्ली को लेकर एक छोटी सी स्टडी की थी। जिसके अनुसार औसतन एक व्यक्ति अपनी ज़िंदगी के 80 घंटे सिर्फ पार्किंग ढूंढ़ने में लगा देता है। मैं किसी छोटी कॉलोनी की नहीं बल्कि ग्रेटर कैलाश जैसे विकसित क्षेत्र की बात कर रहा हूं। अगर आपको वहां किसी के घर जाना हो तो आप उसके घर के चारों ओर 4-5 चक्कर लगाएंगे, तब जाकर आपको कोई पार्किंग मिलेगी। इतनी भारी समस्या है। जो लोग कॉलोनियों और अपार्टमेंट्स के अंदर रहते हैं, लगभग हर दिन उनके बीच गाड़ी पार्किंग के लिए झगड़ा होता है। दिल्ली में माना जाता है कि 2 करोड़ की आबादी है और दिल्ली के अंदर 130,00,000 गाड़ियां रेजिस्टर हैं। उसके अनुसार दिल्ली में प्रति 3 व्यक्तियों में 2 के पास स्कूटर, मोटरसाइकिल, कार आदि उपलब्ध है। दिल्ली में करीब-करीब एक करोड़ वाहनों की पार्किंग की ज़रूरत है।

आपको जानकर हैरानी होगी कि पिछले 15 साल से एमसीडी के मेनिफेस्टों में दिल्लीवालों को अच्छी पार्किंग का वादा भाजपा करती आ रही है। 2012 में भाजपा ने वादा किया था कि वह कुल 100 मल्टीलेवल पार्किंग बनाएंगे। यह इनके मेनिफेस्टो में लिखा हुआ है। जल्द ही 2022 लगने वाला है और मुझे लगता है कि भाजपा 10 सालों में 100 में से 10 पार्किंग भी नहीं बना पाई है। एमसीडी के पिछले चुनाव में, जो 2017 में हुआ था, साउथ एमसीडी ने अलग से एक वादा किया कि वह 27 पार्किंग स्पेस बनाएंगे। हमारी जानकारी के अनुसार साउथ एमसीडी 5 सालों के कार्यकाल में सिर्फ 2 पार्किंग स्पेस बना पाई है। एक पार्किंग ग्रीन पार्क में है और दूसरी अधचिनी में है। जहां एक पार्किंग में 50-60 गाड़ियां लगती हैं और दूसरी में 20-30 गाड़ियां लग सकती हैं। पूरे 5 साल के कार्यकाल में साउथ एमसीडी 100 गाड़ियों के लिए भी पार्किंग नहीं बना पाई। ग्रीन पार्क मेट्रो की पार्किंग के बारे में तो आप जानते ही हैं, एक साल के अंदर-अंदर पार्किंग की इमारत ही नीचे आ गिरी। उसके अंदर खड़ी गाड़ियां भी दब गईं।

पार्किंग से जुड़े एमसीडी के भ्रष्टाचार का खुलासा करते हुए सौरभ भारद्वाज ने कहा कि ग्रेटक कैलाश पार्ट 1 और पार्ट 2 के अंदर एमसीडी के दो चुनाव तो मैं खुद देख चुका हूं। यह लोग हर बार यही कहते हैं कि मार्केट की पार्किंग का प्रस्ताव पास हो गया है, अब जल्दी ही बनाना शुरू कर देंगे। अबतक उस पार्किंग का कोई नामोनिशान नहीं है। और अबतक की सबसे गंभीर बात यह है कि एमसीडी में दुकानदारों को नोटिस देकर उनकी दुकानों को सील करने की धमकी देकर, साउथ दिल्ली की लगभग सभी मार्केटों से करोड़ों रुपए का कनवर्जन शुल्क और पार्किंग शुल्क इकट्ठा किया गया है। यह पार्किंग शुल्क एसको अकाउंट में रखा जाता है कि इसका पैसा आप किसी और चीज़ के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। मेरी जानकारी के अनुसार साउथ एमसीडी ने पिछले 5 सालों में पार्किंग के लिए लगभग 400 करोड़ रुपए इकट्ठा किए हैं। और नॉर्थ एमसीडी ने पार्किंग बनाने के लिए 284 करोड़ रुपए इकट्ठा किए हैं। यह पैसा सिर्फ और सिर्फ पार्किंग लॉट्स बनाने के लए इन बाज़ारों से इकट्ठा किया गया है। इस अनुसार पुरी दिल्ली का कलेक्शन कम से कम 700 करोड़ का हुआ है लेकिन फिर भी इन्होंने पार्किंग नहीं बनाई।

हम भारतीय जनता पार्टी से पूछना चाहते हैं कि 2012 के मेनिफेस्टो में कहा था कि हम 100 मल्टीलेवल पार्किंग लॉट बनाएंगे। उसका क्या हुआ? फिर 2017 में साउथ एमसीडी ने कहा कि हम 27 स्थानों पर मल्टीलेवल पार्किंग बनाएंगे। उसका क्या हुआ? अबतक कितनी पार्किंग आप बना पाए हैं? 2018 में हाई कोर्ट ने नॉर्थ एमसीडी से पूछा कि आपके पास 445 करोड़ रुपया मल्टीलेवल पार्किंग बनाने के लिए है, तो आपने चांदनी चौक के गांधी मैदान में पार्किंग क्यों नहीं बनाई? उसके बाद करोल बाग के व्यापारियों ने सुप्रीम कोर्ट में नॉर्थ एमसीडी के खिलाफ अदालत की अवमानना का मकदमा दायर किया कि बार-बार सुप्रीम कोर्ट को जुबान देने के बाद भी नॉर्थ एमसीडी ने करोल बाग में पार्किंग नहीं बनाई, जबकि उसका पैसा उनके पास पहले ही मौजूद है।

अब सवाल यह उठता है कि बार-बार वादा करने के बावजूद एमसीडी मल्टीलेवल पार्किंग क्यों नहीं बना पा रही है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि दिल्ली में जितनी भी पार्किंग हैं उसका एक बड़ा हिस्सा अवैध रूप से चल रहा है। और जो वहां के पार्किंग माफिया हैं, भाजपा की एमसीडी के नेताओं और अफसरों के साथ उनकी सांठगांठ है। अवैध पार्किंग का यह धंधा दिल्ली में लगातार जारी है लेकिन इसपर कोई कार्रवाई नहीं है।

मैं आपको एक और पार्किंग माफिया के बारे में बताऊंगा। दिल्ली में एक करोड़ गाड़ियों के लिए पार्किंग की ज़रूरत है। लेकिन दिल्ली में मात्र एक लाख गाड़ियों के लिए पार्किंग उपलब्ध है, जो आधिकारिक रूप से कॉमर्शियल पार्किंग हैं। एमसीडी के पिछले चुनाव में भाजपा ने वादा किया था कि इसबार वह लोग एमीसीड में आएंगे तो खासतौर पर पार्किंग पर ध्यान देंगे ताकि पार्किंग माफियाओं को खत्म कर सकें। इन्होंने कहा कि जहां-जहां आधिकारिक रूप से पार्किंग शुरू की जाएगी, वहां पर बाकायदा एक नक्शा लगाया जाएगा कि वहां कॉन्ट्रेक्टर के पास कितनी जगह है जहां पार्किंग की जा सकती है। उसके रेट लगाए जाएंगे। पार्किंग शुल्क लेने वालों की एक अलग यूनिफॉर्म होगी। उनको एक ऑटोमेटिक मशीन दी जाएगी ताकि यह निर्धारित हो सके कि जो पैसा आप पार्किंग वाले को दे रहे हैं वह सारा पैसा एमसीडी के पास जा रहा है। यह वादा भी एमसीडी पूरा नहीं कर पाई।

आप लोगों को मैं एक छाटा सा उदाहरण दूंगा। आप साकेत के सिलेक्सिटी मॉल में चले जाओ, डीएलएफ मॉल में चले जाओ, वसंतकुंज के मॉल में चले जाओ, आप दिल्ली के किसी भी मॉल में चले जाओ, वहां पार्किंग के लिए 20 रुपए प्रति घंटा शुल्क लगते हैं। जो शनिवार और रविवार को बढ़कर 30-35 रुपए हो जाते हैं। आप प्राइवेट अस्पतालों में चले जाओ, वहां भी पार्किंग शुल्क लग रहा है। इन सभी मॉल्स और अस्पतालों को पार्किंग के लिए जो जगह दी गई थी, जो फ्लोर दिए गए थे, वह अतिरिक्त एफएआर के तौर पर दिया गया था। एमसीडी का कहना था कि यह जो अतिरिक्त एफएआर दिया जा रहा है इसको यह लोग कॉमर्शियली इस्तेमाल नहीं करेंगे। इसके लिए यह कोई शुल्क नहीं लेंगे। यहां की पार्किंग पूरी तरह मुफ्त होगी। मॉल में जितना एफएआर इनको मिल सकता था, अस्पताल में जितना मिल सकता था, वह इसीलिए दिया गया था कि लोगों को पार्किंग शुल्क न देना पड़े। लेकिन आप कहीं भी चले जाओ, हर जगह पार्किंग शुल्क लिया जा रहा है। यह सारा दो नंबर का पैसा है। यह सारा काम एमसीडी और डीडीए की सांठगांठ में किया जा रहा है। एमसीडी और डीडीए के साथ सांठगांठ की मदद से लोगों के दिन दहाड़े लूट की जा रही है। इसी लूट के चलते एमसीडी 15 सालों में भी पार्किंग की व्यवस्था को बेहतर नहीं कर पाई है।

News Reporter
पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना करियर बनाने वाली निकिता सिंह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से ताल्लुक रखती हैं पिछले कुछ सालों से परिवार के साथ रांची में रह रहीं हैं और अब देश की राजधानी दिल्ली में अपनी सेवा दे रहीं हैं। नेशनल ब्रॉडकास्टिंग अकादमी से पत्रकारिता में स्नातक करने के बाद निकिता ने काफी समय तक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के न्यूज़ पोर्टल्स में काम किया। उन्होंने अपने कैरियर में रिपोर्टिंग से लेकर एंकरिंग के साथ-साथ वॉइस ओवर में भी तजुर्बा हासिल किया। वर्त्तमान में नमामि भारत वेब चैनल में कार्यरत हैं। बदलती देश कि राजनीती, प्रशासन और अर्थव्यवस्था में निकिता की विशेष रुचि रही है इसीलिए पत्रकारिता की शुरुआत से ही आम जन मानस को प्रभावित करने वाली खबरों पर पैनी नज़र रखती आ रही हैं। बेबाकी से लिखने के साथ-साथ खाने पीने का अच्छा शौक है। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ में योगदान जारी है।
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