मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक याचिकाकर्ता को भी अनुमति दी, जिसने सुप्रीम कोर्ट द्वारा जांच के लिए एक पैनल गठित करने के बावजूद आयोग के निरंतर संचालन को चुनौती दी थी, ताकि आयोग को कार्यवाही में एक पक्ष बनाया जा सके।
सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जासूसी के आरोपों की जांच के लिए शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम बी लोकुर के तहत पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा गठित पैनल की आगे की सभी कार्यवाही पर शुक्रवार को रोक लगा दी।
मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक याचिकाकर्ता को भी अनुमति दी, जिसने सुप्रीम कोर्ट द्वारा जांच के लिए एक पैनल गठित करने के बावजूद आयोग के निरंतर संचालन को चुनौती दी थी, ताकि आयोग को कार्यवाही में एक पक्ष बनाया जा सके। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ ने आयोग को नोटिस जारी किया।
CJI ने राज्य की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी से पूछा कि अदालत को पहले दिए गए आश्वासन के बावजूद पैनल ने जांच कैसे शुरू की। “यह क्या है? पिछली बार आपने अंडरटेकिंग दी थी लेकिन फिर से आपने पूछताछ शुरू कर दी?”
सिंघवी ने कहा कि वह आयोग का नहीं बल्कि राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। और उन्होंने आयोग को अदालत के निर्देशों से अवगत करा दिया है।उन्होंने कहा कि आयोग पर रोक तब तक थी जब तक कि सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश पारित नहीं कर दिया, जिसके बाद जांच पैनल ने अपना काम शुरू किया।
पीठ ने कहा कि वह राज्य की स्थिति को समझती है। और आयोग को नोटिस जारी कर आगे की सभी कार्यवाही पर रोक लगा दी है।