अभिषेक उपाध्याय/महाराष्ट्र की सियासत में इस समय वह हो रहा है कि देश की राजनीति में शायद कभी नहीं हुआ। शनिवार की सुबह सबको चौंका गई जब एक बड़ा सियासी उलटफेर देखने को मिला। सुबह करीब 8 बजे बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनके साथ ही एनसीपी नेता अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली। यह बेहद हैरान करने वाला घटनाक्रम था। जिसे भी मालूम पड़ा उसने यही समझा कि सियासत की किसी सनसनीखेज फिल्म की शूटिंग हो रही है। इसके पहले ये लगभग तय माना जा रहा था कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस मिलकर सरकार बनाएगी। अब मामला एक कदम और आगे जाकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट ने उस चिट्ठी को तलब कर लिया है जिस चिट्ठी के आधार पर अजित पवार ने एनसीपी विधायकों के समर्थन का दावा किया था।
सियासत की फिल्म की खास बात यह है कि ऐन मौके पर फिल्म के किरदार बदल जाते हैं। मुख्य कलाकार किनारे आ जाते हैं जबकि नेपथ्य में बैठे कलाकार फ्रंट पर आ जाते हैं। पहले पिछले 48 घंटों के घटनाक्रम का जायजा लेते हैं। शुक्रवार देर शाम देवेंद्र फडणवीस राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के पास सरकार बनाने का दावा पेश करने पहुंचे। फडणवीस ने अपने पास 173 विधायकों के समर्थन होने का दावा किया। देवेंद्र फडणवीस ने एनसीपी के 54 विधायक और 14 निर्दलीय और अन्य विधायकों के समर्थन होने का दावा किया। बस यही से फिल्म की सूरत बदल गई।
रात 12 बजे के आसपास एनसीपी विधायक दल के नेता अजित पवार राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के पास पहुंचे। खास बात यह थी कि उनके पास एनसीपी के 54 विधायकों की हस्ताक्षर वाली सूची भी थी। यही वह सूची है जिसके आधार पर राज्यपाल ने सरकार को शपथ दिलाई। अब सुप्रीम कोर्ट ने इसी सूची को तलब कर लिया है। अजित पवार ने अपना समर्थन देवेंद्र फडणवीस और बीजेपी को देने का पत्र राज्यपाल को सौंपा। एनसीपी का समर्थन पत्र मिलने के बाद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी इस बात से संतुष्ट हो गए कि देवेंद्र फडणवीस के पास सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा है।
सब कुछ रातों रात हो रहा था। रातों-रात राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने केंद्र को राज्य में गठबंधन सरकार बनने के हालात बनने की जानकारी देते हुए राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश भेज दी। इस समय तक महाराष्ट्र की राजनीति में एक प्लेटफार्म पर आ चुके आपस के विरोधी दलों को इसकी खबर भी नहीं थी। कुछ देर पहले ही शरद पवार, उद्धव ठाकरे और अहमद पटेल जैसे नेता मीटिंग करके सरकार बनाने का दावा कर चुके थे। इसमे बताया गया कि एक और मीटिंग होगी फिर सब कुछ तय हो जाएगा। कहीं कोई अड़चन नहीं है।
मगर सुबह 6 बजते बजते हालात बदल गए। राज्यपाल ने सुबह सुबह देवेंद्र फडणवीस शपथ दिलाने का फैसला किया। बीजेपी की तरफ से शपथ ग्रहण की अर्जी मिलने के बाद ही राज्यपाल ने सुबह 8 बजकर 07 मिनट पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उप मुख्यमंत्री अजित पवार की शपथ दिलाई। इस तरह महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा उलटफेर हो गया और मुख्यमंत्री का ख्वाब देख रही शिवसेना कहीं की नहीं रह गई।
मगर इसके बाद राजनीति ने फिर करवट ली। शरद पवार ने ताकत दिखाई और एनसीपी के अधिकतर विधायकों को अपने साथ दिखा दिया। इस बीच बीजेपी खामोश है।वह चुपचाप वक्त का इंतजार कर रही है। सूत्र यही बता रहे हैं कि जो सामने दिख रहा है वह हो नहीं रहा है। जो हो रहा है वह किसी भी रोज चौकाने वाली शक्ल में सामने आ सकता है। बीजेपी ने इतना बड़ा कदम बहुत सोच-समझकर उठाया है। वह किसी भी सूरत में महाराष्ट्र को छोड़ने वाली नहीं है। उसका मानना है कि सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते उसका नैतिक अधिकार भी बनता है। हालांकि, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, शिवसेना और कांग्रेस की तरफ से अब भी सरकार बनाने का दावा किया जा रहा है। शरद पवार ने उद्धव ठाकरे के साथ साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि फडणवीस सरकार सदन में बहुमत साबित नहीं कर पाएगी और सरकार हम ही बनाएंगे। जानकारी के मुताबिक बीजेपी ने सारी तैयारियां कर रखी हैं। 23 नवंबर की तरह एक और चौंकाने वाली तारीख महाराष्ट्र के इतिहास में दर्ज हो सकती है।