हाल ही में गाजियाबाद के जिस डासना देवी मंदिर में एक मुस्लिम लड़के को पानी पीने के लिए मारा गया था, अब उस मंदिर के महंत ने एक नफरत भरा बयान देकर एक नये विवाद को जन्म दे दिया है। नरसिंहानंद सरस्वती ने अलीगढ़ में प्रेस वार्ता के दौरान पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम पर निशाना साधते हुए उन्हें जिहादी करार दे दिया। उन्होंने कहा कि देश के शीर्षस्थ परिवारों में कोई भी मुसलमान भारत का समर्थक नहीं हो सकता है। इतना ही नहीं, बगैर किसी सबूत के उन्होंने भारत रत्न डॉ. कलाम पर डीआरडीओ प्रमुख के रूप में पाकिस्तान को परमाणु बम के फार्मूले की सप्लाई करने का भी आरोप लगाया। पुजारी ने दावा किया कि डॉ. कलाम ने राष्ट्रपति भवन में एक ऐसे खास सेल का गठन किया था, जहां कोई भी मुस्लिम अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है।
पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम भले ही अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी कही बातें हमेशा हमारा मार्गदर्शन करती रहेंगी। डॉ. कलाम भले ही देश की सर्वोच्च संवैधानिक कुर्सी पर विराजमान रहे, लेकिन उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी सादगी के साथ जी और यही उनकी सबसे बड़ी खासियत थी। ऐसे में इस तरह के बिना सिर पैर के इल्जामात लगाकर उनकी छवि को धूमल करने की हिमाकत दिखाना कहां तक सही है, ये आपको तय करना है।