नई दिल्ली। कई बार ऐसा होता है जब आप ट्रेन में सफर कर रहे होते हैं तो जल्दबाजी में अपना सामान आप अपनी सीट पर ही भूल जाते हैं या फिर आपका सामान किसी के साथ बदल जाता है। हालांकि, जैसे ही आप प्लेटफार्म पर उतरते हैं वैसे ही याद आता है अरे सामान तो सीट पर ही रह गया या बदल गया, तब तक ट्रेन जा चुकी होती है। लेकिन भारतीय रेल प्रशासन की उच्चतम सुविधाओं के चलते किसी का सामान अब इधर-उधर नहीं होता। ऐसा ही एक वाकया उजागर हुआ है पानीपत से। दरअसल, 12 मार्च 2021 को श्री संजय सहगल नाम के एक शख्स ने डीआरएम अंबाला और जीएम उत्तर रेलवे को टैग करते हुए एक ट्वीट पोस्ट किया।
जिसमें उन्होंने बताया कि उनकी जान-पहचान की शारदा वोहरा नाम की महिला ने ट्रेन नं. 02006 कालका शताब्दी ने पानीपत में जहाज पर चढ़ते समय एक अन्य यात्री के साथ अपने सामान का आदान-प्रदान किया था। उस दिन संभागीय अधिकारियों द्वारा नई दिल्ली के स्टेशन प्रबंधक राकेश शर्मा को यह मामला भेजा गया था। 13 मार्च को राकेश शर्मा की पूछताछ के दौरान, उन्हें पता चला कि ट्रॉली बैग विजय रावत, ओबीएचएस पर्यवेक्षक द्वारा नई दिल्ली में जीआरपी पुलिस स्टेशन में जमा किया गया था। मालिक के बेटे निखिल वोहरा द्वारा बैग की पहचान करने के बाद, बैग को पुलिस स्टेशन से रिहा कर दिया गया और विजय रावत की हिरासत में पानीपत भेज दिया गया, जहाँ बदले में दिनेश वोहरा के साथ इसका आदान-प्रदान हुआ।
अन्य बैग 14 मार्च को विजय रावत द्वारा नई दिल्ली रेलवे स्टेशन में स्टेशन प्रबंधक को प्रस्तुत किया गया था। आगे की पूछताछ के बाद पता चला कि ट्रेन में कोई भी यात्री महिला के पास नहीं था। शारदा वोहरा ने सामान गुम होने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसलिए, आस-पास के सभी यात्रियों से संपर्क किया गया, और उनमें से एक, चंडीगढ़ निवासी राघव शर्मा ने अपना सामान खो जाने का दावा किया। सामान का उसका स्वामित्व तब बैग की सामग्री के माध्यम से स्थापित किया गया था। आखिर में, सामान 15 मार्च को विजय रावत ने चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पर उन्हें वापस कर दिया।
इस तरह से शारदा वोहरा को उनका सामान दोबारा वापस मिल गया। और यह सब रेलवे प्रशासन की तत्परता से ही संभव हुआ है।