सपा प्रमुख अखिलेश यादव की नाराजगी का सामना कर रहे उत्तरप्रदेश के कुंडा से विधायक राजा भैया ने पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की। राजा भैया ने मुलाक़ात की तस्वीरें अपने सोशल मीडिया अकाउंट से भी शेयर की। मुलाक़ात के बाद उन्होंने कहा कि वे उनके जन्मदिन के मौके पर हमेशा से मिलने आते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। अब राजा भैया ने एक इंटरव्यू में बताया है कि मुलायम सिंह यादव के साथ उनके रिश्ते कैसे रहे हैं।
समाचार चैनल एबीपी न्यूज से बातचीत करने के दौरान कुंडा से विधायक राजा भैया से जब पूछा गया कि आप हाल ही में मुलायम सिंह से भी मिले थे और इसको लेकर कई कयास भी लगाए जा रहे हैं। इसपर राजा भैया ने जवाब देते हुए कहा कि अगर दल के साथ गठबंधन की बात है तो अभी तक किसी भी राजनीतिक दल के साथ गठबंधन की बात नहीं हुई है। साथ ही उन्होंने कहा कि नेताजी का स्वास्थ्य ख़राब था। कोरोना की वजह से दो वर्ष से नहीं मिल पाए थे और उनका जन्मदिन भी था। मेरे जन्मदिन पर हमेशा उनका फोन आता है। वो सामान्य मुलाक़ात थी इसलिए इसको राजनीति से जोड़कर न देखा जाए।
इस दौरान राजा भैया से यह भी पूछा गया कि आपने पार्टी बनाने का निर्णय क्यों लिया। इसके जवाब में राजा भैया ने कहा कि निर्दलीय विधायक रहते हुए 25 साल हो गए थे। लोगों, कार्यकर्ताओं और शुभचिंतकों से राय ली गई। तीन राय थी कि किसी पार्टी को ज्वाइन कर लो, स्वयं का दल बनाएं या निर्दलीय ही रहें। अधिकांश लोगों की इच्छा थी कि पार्टी बनाकर उसका पूरे प्रदेश में विस्तार किया जाए।
पिछले दिनों जनसत्ता दल के अध्यक्ष व कुंडा से विधायक राजा भैया ने मुलायम सिंह यादव से मुलाक़ात की थी। इसके बाद दोनों दलों के बीच गठबंधन की संभावना जताई जाने लगी थी। लेकिन राजा भैया ने अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा था कि वह उनके जन्मदिन के मौके पर हमेशा आते रहे हैं। उनसे आशीर्वाद लेते रहे हैं और वे शुभकामनाएं देते रहे हैं। इस बार बाहर होने के कारण उनके जन्मदिन पर नहीं आए। इसलिए इसके कोई और अर्थ न निकाले जाएं।
गौरतलब है कि इन दिनों सपा प्रमुख अखिलेश यादव और राजा भैया के बीच की तल्खी बढ़ी हुई है। प्रतापगढ़ के एक निजी कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे अखिलेश यादव ने राजा भैया को पहचानने से ही इनकार कर दिया। पत्रकारों ने जब अखिलेश यादव से राजा भैया के साथ गठबंधन को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि ये कौन हैं। दरअसल साल 2019 में उत्तरप्रदेश कोटे के लिए हुए राज्यसभा चुनावों में सपा और बसपा गठबंधन प्रत्याशी का समर्थन नहीं किए जाने के कारण अखिलेश यादव राजा भैया से नाराज हो गए थे।