राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए श्रीमती नमिता कौल भट्टाचार्य को चिट्ठी लिखी है।अपने संदेश में राष्ट्रपति ने कहा कि श्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन की इस दुखद घड़ी में मेरी संवदेनाएं और भावनाएं आपके और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ है। अटल जी का निधन स्वभाविक रूप से आपका और घर में अन्य लोगों का व्यक्तिगत नुकसान है। यह मेरे लिए भी व्यक्तिगत नुकसान है। यह उनका कद और मर्यादा ही था जिनके आकर्षण में कानूनी पेशा छोड़कर उनका सहयोगी बनने के लिए मैं सार्वजनिक जीवन में आया। उनके साथ काम करना कभी न भुलाने वाला अनुभव रहा। देश का राष्ट्रपति बनने के बाद जब मैं उनसे मिला तो वे शय्याग्रस्त थे लेकिन उन्होंने अपनी आंखें हिलाकर प्रतिक्रिया की और मैंने अनुभव किया कि उन्होंने मुझे आशीर्वाद दे दिया।
अटल जी का जाना देश भर के लाखों घरों में भी महसूस किया गया। वे हमारे सबसे प्रिय पूर्व प्रधानमंत्री, विलक्षण प्रतिभा से पूर्ण एक राष्ट्रीय नेता और आधुनिक भारत के राजनीतिक विशारद थे। स्वतंत्रता सेनानी से लेकर एक बौद्धिक शख्सियत, एक लेखक से लेकर एक कवि, एक सांसद से लेकर एक प्रशासक और अंत में प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने अपने लम्बे और असाधारण राजनीतिक जीवन में असंख्य लोगों के जीवन को असंख्य तरीकों से प्रभावित किया। वे सही मायने में भारतीय राजनीति के नवचेतना पुरुष थे।
प्रधानमंत्री के रूप में अटल जी दबाव के अंदर भी सभ्यता के एक उदाहरण थे और चुनौतीपूर्ण परिस्थियों में भी फैसला लेने की उनमें काबिलियत थी। 1998 में पोखरण परीक्षण, 1999 में करगिल संकट,उनकी सरकार में किये गए आर्थिक बदलाव और देश के जीडीपी को वृद्धि और विकास के पटरी पर लाने जैसे कदम अटलजी की सरकार की उपलब्धियां रही हैं। 2015 में उन्हें भारत रत्न की उपाधि से नवाजा जाना उनके प्रति भारत के प्यार और कृतज्ञता की अभिव्यक्ति थी। इस विराट हृदय वाले महान राजनेता का जाना न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में महसूस किया जाएगा।
कृपया एक बार फिर मेरी गहरी संवेदनाएं स्वीकार करें और इन्हें अटलजी के अनगिनत दोस्तों और प्रशंसकों को प्रेषित करें। ईश्वर आपको और परिवार के अन्य सदस्यों को इस अपूरणीय क्षति को सहन करने की शक्ति और साहस प्रदान करे।