ज़ेबा ख़ान/आपने कभी सुना है कि किसी मंदिर में आने के लिए आयु सीमा रखी हो और वहां प्रवेश के लिए आपको प्रमाण पत्र दिखाना पड़े। आज हम आपको एक ऐसा मंदिर के बारे में बताएंगें जहां महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने के लिए ऐज सर्टिफिकेट देना पड़े। हम बात कर रहे हैं सबरीमाला मंदिर की जहां 10साल की उम्र से लेकर 50 साल तक की उम्र की महिलाओं को मंदिर में जाने की इजाज़त नही है।इतना ही नहीं जिन महिलाओं को मंदिर में जाने की इजाज़त है उन्हें हमेशा अपने साथ आयु प्रमाणपत्र ले जाना होता है। चेकिंग के बाद ही उन्हें अंदर जाने की अनुमति दी जाती है। ये मंदिर केरल की राजधानी तिरूवनंतपुरम से करीब 175 किलोमीटर की दूर पंपा है। पंपा से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर लंबी पर्वत श्रृंखला और घने जंगल हैं। इसी वन क्षेत्र में स्थित है सबरीमाला मंदिर। यह पत्तनमत्तिट्टा जिले के अंतर्गत आता है। पंपा से सबरीमाला मंदिर तक पैदल चलकर जाना पड़ता है।
जैसा कि मुस्लिम लोग हज के लिए लाखो की संख्या में लोग मक्का-मदीना जाते हैे। ठीक वैसे ही मक्का-मदीना के बाद ये दुनिया का दूसरा ऐसा तीर्थ स्थल माना जाता है। जहां हर साल करोड़ो श्रद्धालु आते हैं। इस मंदिर का असली नाम सबरिमलय है। मलयालम भाषा में पर्वत को शबरीमला कहा जाता है। यह मंदिर करीब 18 पहाड़ियों के बीच स्थित है और इसी आधार पर इसका नाम सबरिमलय रखा गया।
आपको बता दें इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक हटा के लिए इंडियन यंग लॉयर्स असोसिएशन ने एक जनहित याचिका दायर कर सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की इजाजत मांगी थी।जिस पर देश की सर्वोच्च अदालत की संवैधानिक पीठ ने केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को गलत माना है। पीठ का कहना है कि मंदिर एक पब्लिक प्लेस है और हमारे देश में प्राइवेट मंदिर का कोई सिद्धांत नहीं है। ये पब्लिक प्लेस है और सार्वजनिक जगह पर जहां पुरुष जा सकते हैं तो महिलाओं को भी प्रवेश की इजाज़त मिलनी चाहिए।
दरअसल इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक के पीछे कुछ मान्यताएं हैं—-
ये मंदिर धार्मिक सद्भवा का प्रतीक है और ये मंदिर भगवान अय्यपन देव को समर्पित है।
लोगों को ऐसा कहना कि अयप्पन देव ब्रह्मचचारी थे।
इसी कारण से इस मंदिर में महिलाओं के एक खास आयु वर्ग के आने पर रोक लगा दी गई है।
मंदिर के आंगन में केवल बच्चियां और वो महिलाएं जा सकती हैं जिनके मासिक धर्म शुरू न हुए हों और वो महिलाओं जो इससे
लेकिन यहां महिलाओं को जाने की अनुमति नहीं है। इसका कारण यह बताया जाता है कि भगवान अयप्पन ब्रह्मचारी थे। इसलिए मंदिर प्रांगण में केवल बच्चियां या वही स्त्रियां जा सकती हैं। बच्चियां जिन्हें मासिक धर्म शुरू न हुआ हो और महिलाएं जिनके मासिक धर्म हमेशा के लिए हो चुके हों।इस मंदिर से जुड़ी और कई मान्यताएं देखने को मिलती है। इस मंदिर में लोगों की बहुत गहरी आस्थाएं जुड़ी हुई हैं।