नई दिल्ली: सीआईएसएफ़ वरिष्ठ कमांडेंट को पुलिस हिरासत के दौरान गंभीर यातना दिये जाने के एक मामले में दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस को दिल्ली पुलिस के ही निरीक्षक स्तर के दो अधिकारियों और राजस्थान संवर्ग की एक महिला आईएएस के विरुद्ध तीन माह में जाँच पूरी कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
सीआईएसएफ़ कमांडेंट ने नवम्बर २०२१ में अदालत में दायर अपनी याचिका में ये आरोप लगाया था कि दिनांक ९ एवं १० अक्तूबर २०१९ की मध्यरात्रि पश्चात उसे आईएएस अधिकारी मंजू राजपाल ने फ़ोन करके धोखे से लोधी कॉलोनी पुलिस थाने भेजा जहां दिल्ली पुलिस के दो निरीक्षकों राजेश शर्मा और अनिल शर्मा द्वारा उसे थाने में बर्बर यातनाएँ दी गईं और जबरन एक इच्छित बयान पर हस्ताक्षर कराकर उक्त आईएएस अधिकारी के पति अमित सावंत की गाड़ी में ड्रग्स रखने के आरोप में फँसा दिया गया।
विदित है कि दिनांक ९ अक्तूबर २०१९ को शाम लगभग साढ़े छह बजे एक गुप्त सूचना के आधार पर आईएएस मंजू राजपाल के पति अमित सावंत की गाड़ी से चरस की बारामदगी उसके ख़ुद की उपस्थिति में की गई थी किंतु अगले दिन एक सनसनीख़ेज़ खुलासा करते हुए दिल्ली पुलिस द्वारा ये दावा किया गया था कि आईएएस के पति की गाड़ी में चरस सीआईएसएफ़ अधिकारी द्वारा उसे फँसाने की नियत से पाँच दिन पहले रखी गई थी। इस मामले में पुलिस द्वारा आईएएस के पति को तुरंत रिहा करते हुए सीआईएसएफ़ कमांडेंट को गिरफ़्तार कर लिया था।