सरयू नहर बनेगी, किसान हित की प्रतिबद्धता की मिसाल, 44 साल बाद पूरी होगी पूर्वांचल के लाखों किसानों की आस

*घाघरा, राप्ती, रोहिन और बाणगंगा के जुड़ने से बाढ़ की समस्या का होगा स्थाई हल

सरयू नहर के जरिये योगी सरकार ने 11 दिसंबर को पूर्वांचल के नौ जिलों (बहराईच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीर नगर, गोरखपुर और महराजगंज) के लाखों किसानों को एक बड़ी सौगात दी। साथ ही यह संदेश भी कि डबल इंजन की सरकार के लिए अन्नदाता का हित सबसे पहले रहा है और रहेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 11 दिसंबर को बलरामपुर में सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना का लोकार्पण कर इसे एक बार फिर साबित भी कर दिया। 

खास बात यह है कि यह परियोजना 44 सालों बाद पूरी हो रही है। इसका 80 फीसद से अधिक काम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कार्यकाल के दौरान हुआ। इससे पूर्वांचल के संबंधित जिलों के करीब 50 लाख किसानों को लाभ होगा। भरपूर पानी मिलने और बाढ़ की समस्या का हल होने से  जिन क्षेत्रों में एक फसल होती थी वहां दो फसलें होंगी। दो फसली क्षेत्रों में जायज की फसल बोनस होगी। कुल मिलाकर इस पूरे क्षेत्र के फसल क्षेत्र का कायाकल्प हो जाएगा। स्वाभविक रूप से सिंचन क्षेत्र के बढ़े रकबे और रबी, खरीफ और जायज की फसल लेने से किसानों की भी आय बढ़ेगी। समग्रता में कहें तो यह नहर किसानों के हित के बारे डबल इंजन की जो प्रतिबद्धता है उसका जीवंत प्रमाण है।साथ ही इस दौरान केंद्र और प्रदेश में रहने वाली सरकारों के मुंह पर तमाचा भी जो सिर्फ नारों में ही किसानों के हित की बात करती रहीं हैं। जहां लाखों किसानों के हित का सवाल था उसके लिए कुछ खास नहीं किया। इसका श्रेय केंद्र सरकार के साथ प्रदेश सरकार को भी जाता है।

अक्टूबर-2018 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 500 करोड़ से ऊपर की जिन परियोजनाओं की समीक्षा की थी, उसमें सरयू नहर भी शामिल थी। तब मुख्यमंत्री ने हर सप्ताह काम के प्रगति की निगरानी करने का निर्देश अधिकारियों को दिया था। गत तीन जून को मुख्य सचिव आरके तिवारी की अध्यक्षता में हुई बैठक में भी सरयू नहर को लेकर चर्चा हुई थी। 

सिंचित होगी 15 लाख हेक्टेयर भूमि

इस नहर के पूरा होने से प्रदेश के अपेक्षाकृत पिछड़े पूर्वाचल के नौ जिलों को लाभ होगा। करीब 14.04 लाख हेक्टेयर रकबे की सिंचाई के साथ ही बाढ़ की समस्या का भी स्थाई समाधान निकलेगा। इसमें घाघरा, सरयू, राप्ती, बाणगंगा और रोहिन नदी पर गिरिजा, सरयू, राप्ती, और वाणगंगा के नाम से बैराज बनाकर इससे मुख्य और सहायक नहरें निकाली गई हैं। 

शुरू में घाघरा कैनाल था नाम

मालूम हो कि  वर्ष 1978 में  बहराइच और गोंडा जिले में सिंचन क्षमता में विस्तार कर वहां के किसानों के हित के मद्देनजर घाघरा कैनाल (लेफ्ट बैंक) के नाम से यह परियोजना शुरू हुई। 

1982 में परियोजना के विस्तार के साथ नाम भी बदला

1982-83 में इसका विस्तार पूर्वांचल के ट्रांस घाघरा-राप्ती-रोहिणी क्षेत्र में करते हुए नौ और जिलों को भी इसमें शामिल किया गया। तभी भारत सरकार ने इसका नाम बदलकर सरयू परियोजना रख दिया। तय हुआ कि इसमें घाघरा के साथ राप्ती, रोहिन को भी नहर प्रणाली से जोड़ा जाएगा।

2012 में मिला राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा

परियोजना की महत्ता एवं उपयोगिता के मद्देनजर केंद्र ने 2012 में इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित कर दिया। 

इसके तहत पूर्वांचल के नौ जिलों में 14.04 लाख हेक्टेयर रकबे में सिंचन क्षमता का विस्तार कर वहां के लाखों किसानों को लाभान्वित किया जाना है। इस बावत सरयू मुख्य नहर, राप्ती मुख्य नहर एवं गोला पंप कैनाल, डुमरियागंज पंप कैनाल अयोध्या पंप कैनाल एवं उतरौला पंप कैनाल के कुल 6590 किमी लंबाई में नहर प्रणाली का विस्तार किया गया है।

पहले की सरकारों ने की परियोजना की उपेक्षा

सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना सिंचाई विभाग के साथ-साथ भारत सरकार की महत्वाकांक्षी नदी घाटी जोड़ो परियोजना से भी जुड़ती है। इसके जरिए घाघरा, सरयू, राप्ती, बाण गंगा और रोहिन नदी को भी जोड़ना है। इससे इन जिलों में हर साल आने वाली बाढ़ की समस्या भी काफी हद तक स्थाई हल हो जाएगी।

पूर्वांचल के नौ जिलों के लाखों किसानों की तकदीर और खेतीबाड़ी के कायाकल्प में सक्षम इस परियोजना की पूर्व वर्षों में पहले की सरकारों ने उपेक्षा की। समय से पर्याप्त धन उपलब्ध न होने के कारण इसकी प्रगति बेहद धीमी रही। 2017 में आई योगी सरकार ने सरयू नहर परियोजना को पूर्ण किए जाने के संकल्प के साथ परियोजना पर पर्याप्त धन उपलब्ध कराया। नहरों के अवशेष कार्यों को पूर्ण करने के लिए उच्च स्तर से निर्गत आदेशों के क्रम में स्थानीय प्रशासन के सहयोग से विशेष अभियान चलाकर भूमि क्रय की गई। इसके साथ ही नहरों को पूर्ण करने का कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। परियोजना की नहरों के अवशेष गैप्स को पूरा करने के साथ-साथ राप्ती मुख्य नहर व कैंपियरगंज शाखा एवं इसकी वितरण प्रणालियों के कार्य तेजी से कराए गए।

ये है परियोजना की नहर प्रणाली

बहराइच में घाघरा नदी पर निर्मित गिरजापुरी बैराज के बाएं से बैंक से 360 क्यूसेक क्षमता की सरयू योजक नहर (17.035 किमी) निकाली गई है। इससे सरयू नदी पर निर्मित सरयू बैराज के अपस्ट्रीम दाएं किनारे में पानी लाया जाएगा। सरयू बैराज के बाएं बैक से 360 क्यूसेक क्षमता की 63.15 किमी की सरयू नहर निकाली गई है। सरयू मुख्य नहर के किमी 21.4 दाएं बैक से इमामगंज शाखा प्रणाली निकाली गयी है। सरयू मुख्य नहर के किमी 34.70 के बाएं किनारे से राप्ती योजक नहर 21.4 किमी लम्बाई में निर्मित कराई गई है। 

यह राप्ती नदी पर निर्मित राप्ती बैराज के अपस्ट्रीम में राप्ती नदी को पानी उपलब्ध कराएगी। इसका उपयोग 125.682 किमी लम्बी राप्ती मुख्य नहर के लिए किया जाएगा। सरयू मुख्य नहर के किमी 63.150 से दो शाखा प्रणाली बस्ती व गोंडा निकाली गई है। बस्ती शाखा से 4.20 लाख हेक्टेयर एवं गोंडा शाखा से 3.96 लाख हेक्टेयर सिंचाई होगी।

राप्ती के मुख्य नहर के टेल से कैम्पियरगंज शाखा राप्ती मुख्य नहर प्रणाली से 3.27 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा प्रदान की जाएगी। इसी क्रम में श्रावस्ती में लक्ष्मनपुर कोठी के निकट निर्मित राप्ती बैराज के बाएं तट से राप्ती मुख्य नहर का निर्माण कार्य प्रगति पर है। इसकी कुल लंबाई 125.682 किमी है। उक्त नहर के दोनों किनारों पर आठ 8-8 मीटर चौड़ा सेवा मार्ग बनेगा। यह श्रावस्ती बलरामपुर सिद्धार्थनगर को जाएगी। बाद में इसे बॉर्डर रोड के रूप में विकसित किया जा सकेगा

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