नई दिल्ली, 04 सितम्बर, 2020 – दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि रेलवे पटरियों के नजदीक बसे सभी झुग्गी झौपडी कलस्टरों को हटाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से दिल्ली में लगभग 10 लाख से अधिक गरीब बेघर हो जाऐंगे, जो पहले से ही कोरोना महामारी का संकट से परेशान है। उन्होंने कहा कि जे.जे. कलस्टरों में रह रहे लोगों की बर्बादी के लिए दिल्ली की अरविंद सरकार और भाजपा शासित एमसीडी जिम्मेदार है और दोनो सरकारों ने अपने शासन काल के वर्षों में इन लोगों के पुनर्वास के लिए कुछ नही किया, जबकि दोनो पार्टियों ने अपने चुनावी घोषणा पत्रों में गरीब लोगों को ‘‘जहां झुग्गी-वही मकान’’ देने का वायदा किया था।
चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि श्रीमती शीला दीक्षित के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार द्वारा लगभग 64184 फ्लैटों के निर्माण की शुरुआत की थी। परंतु अरविन्द सरकार ने सात साल के अपने शासनकाल में केवल 1931 फ्लैट आवंटित किए हैं, जैसा कि एक प्रश्न के जवाब में अरविन्द सरकार ने दिल्ली विधानसभा में कहा था। बाकि बचे हुए फ्लेट खाली पड़े हैं और अरविंद सरकार ने इन फ्लैटों को झुग्गीवासियों को आवंटित करने की कोई पहल नही की।
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि दिल्ली में कांग्रेस सरकार श्रीमती शीला दीक्षित की नेतृत्व में स्पष्ट जनादेश के साथ बनी थी। कांग्रेस सरकार ने 2010 में दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) का गठन किया था जिसका उदेश्य धारा 10 और 12 के तहत जेजे समूहों के निवासियों को सुरक्षित आवास प्रदान करना था। इस योजना के तहत, DSIDC ने 41,000 फ्लैट्स और DUSIB ने 18,324, DDA ने 4740 और NDMC ने 240 का निर्माण किया था।
परंतु अरविंद और मोदी दोनों सरकारों ने जे.जे. क्लस्टर्स के पुनर्वास के लिए बिना कुछ दिए उन्हें मात्र वोट बैंक के रूप में ही माना । चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि अरविंद सरकार पिछले 7 वर्षों से सत्ता में हैं, परंतु यह बहुत ही आश्चर्यजनक है कि उन्होंने जेजे कलस्टरों के पुनर्वास के लिए कोई योजना बनाना उचित ही नहीं समझा।
अनिल कुमार ने कहा कि कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट में एक समीक्षा याचिका दायर करेगी क्योंकि यह दिल्ली के लाखों गरीब लोगों के जीवन का सवाल है, जो राजधानी की प्रगति और समृद्धि में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
अनिल कुमार ने कहा कि दिल्ली की कांग्रेस सरकार ने राजीव आवास योजना के तहत लगभग 64,000 फ्लैटो के निर्माण का कार्य शुरु किया था जिसमें से 59,000 फ्लैट द्वारका, नरेला, तुगलकाबाद, बवाना, भलस्वा सहित कई अन्य क्षेत्रों में खाली पड़े है। उन्होंने कहा कि अरविंद सरकार की उदासीनता के कारण, ये फ्लैट खाली पड़े हैं जबकि आप पार्टी की सरकार द्वारा पिछले सात वर्षों में न तो कोई नई योजना बनाई और न ही लॉन्च की गई है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद जेजे क्लस्टर निवासियों के लिए मगरमच्छ के आंसू तो बहाते हैं परंतु अपने घोषणा पत्र में बड़े-बड़े वादे करने बावजूद भी जे.जे. कलस्टर के गरीब लोगों को मकान देने के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अरविंद सरकार की विफलताएं पूरी तरह से उजागर हो गई हैं।
चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने अक्टूबर, 2018 में रेलवे पटरियों के नजदीक बसे जेजे समूहों को हटाने के लिए एक आदेश पारित किया था, उस समय अरविंद और मोदी सरकार दोनों चुप रही। उन्होंने कहा कि EPCA- पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण ने इस मुद्दे पर पहले भी प्रकाश डाला था, और आप पार्टी की दिल्ली सरकार और भाजपा शासित MCDs के पास इस पर कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त समय था, परंतु दोनो सरकारों की निष्क्रियता ने कोविड महामारी के संकट काल में जेजे समूहों के निवासियों के जीवन को खतरे में डाल दिया है।
चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि कांग्रेस नेता श्री अजय माकन की 2019 की एक याचिका के आधार पर, माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया था कि जेजे कलस्टरों के निवासियों को वैकल्पिक आवास मुहैया कराने की दिल्ली सरकार की जिम्मेदारी है। जे.जे. कलस्टर के संबध में बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी यह फैसला सुनाया था कि शहरी बस्तियों में लोगों को उजाड़ने पहले उनके लिए वैकल्पिक आवास उपलब्ध कराना सरकार की ज़िम्मेदारी होगी।
चौ0 अनिल कुमार ने पूछा कि यदि जे.जे. कलस्टर रेलवे जमीन से हटाऐ जाते है तो रेलवे की जमीन पर मौजूद अधिकृत स्थानों और रेलवे क्वार्टरों में आवासीय क्षेत्रों का क्या होगा?