गोंडा।प्रधानमंत्री के देशवासियों से अपील “आपदा को अवसर” में बदलने के सूत्रवाक्य का आम लोगों ने भले ही फायदा ना उठाया हो लेकिन कुछ भ्रष्ट अधिकारियों ने कोरोना आपदा में जमकर घोटाले कर अपने लिए आपदा को अवसर में बदल लिया है। मामला उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के मनकापुर तहसील का है जहाँ अधिकारियों ने कागजी राशन किट वितरित कर लाखों का घोटाला कर गए।
बिना राशन किट वितरण के ही लाखों का वारा न्यारा कर दिया गया।मनकापुर के आरटीआई एक्टिविस्ट और सोशल वर्कर एडवोकेट श्यामलाल शुक्ल ने तहसील में पदस्थ अधिकारियों पर ये आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि पहले तो कोई अधिकारी मनकापुर आना नहीं चाहता था लेकिन अब जाना नहीं चाहते।
कोरोना काल में यहाँ के अधिकारियों ने कागजी आंकड़ों में कुल 3683 किटों का वितरण दिखाया गया है जिनमें से सबसे अधिक गणपति फूड गोंडा ने 1300,अशोक किराना मनकापुर 750,रूद्राक्ष एग्रो गोंडा 600,बालाजी 500व प्रशांत अग्निहोत्री करनैलगंज ने 250 राशन किटों की अलग अलग अधिकारियों की सेटिंग्स गेटिंग्स से अलग अलग दरों पर आपूर्ति आहरण कराया गया है। जानकर बताते हैं आपूर्ति की गई किटों में नमक ,आलू अधिक कुछ मात्रा में आटा दिया गया बभनजोत छपिया विकास खंड में बिना किटों को दिये ही प्रवासी मजदूरों का अंगूठा लगवा लिया गया अगर सही तरीके से जांच कर लिया जाय तो बिहार के लालू के चारा घोटाले से बड़ा घोटाला साबित होगा ।
एडवोकेट श्यामलाल शुक्ल ने बताया कि आपूर्तिकर्ता फर्मों के वित्तीय मानकों का कोई परीक्षण बिना किये लाखों रुपयों का सरकारी खजाने से भुगतान कर दिया गया है। अब सरकार के लेखा विभाग द्वारा अडिट के नाम पर वसूली करके अनियमित भुगतान को जिले के सर्किट हाउस में टिके आडीटर सही करा रहे हैं। इतने बडे घोटाले पर सत्ता पक्ष ,विपक्ष ,राजनैतिक दलों व आम जन के बेड रुम तक दखल रखने वाली मीडिया भी चुप है।
उन्होंने अरोप लगाया है कि मनकापुर विधानसभा क्षेत्र में अधिकारियों की मनमानी चलती है जनप्रतिनिधियों का बडा रसूख होन के नाते आम जनता से मिलना हो नहीं पाता इसलिए लोकतंत्र के राज में यह क्षेत्र अधिकारी तंत्र का दंश झेल रहा है।
उत्तर प्रदेश के कुछ जनपदों में पीपी किटों के घोटालों पर जिला स्तरीय नोडल अधिकारी निलंबित हुए लेकिन गोंडा की मनकापुर तहसील में हुए राशन किट घोटाले पर सरकार व शासन भी मौन है आखिर क्यों ?