प्रधानमंत्री ने इस विषय पर विस्तार से चर्चा की कि कैसे राज्यपालों को जीवन के विविध क्षेत्रों में अपने अनुभव का प्रयोग करना चाहिये ताकि लोग केंद्र की विभिन्न विकासात्मक योजनाओं का अधिकतम लाभ ले सकें। उन्होंने कहा कि हमारे संघीय ढांचे और संवैधानिक व्यवस्था में राज्यपाल की संस्था को एक केंद्रीय भूमिका का निर्वाह करना है।
उन्होंने कहा कि उन राज्यों के राज्यपाल जहां कि आदिवासी जनसंख्या बड़ी मात्रा में है वहां पर सरकार की शिक्षा, खेल और वित्तीय समावेश की योजनाओं का लाभ आदिवासी समुदायों तक पहुंचाना सुनिश्चित करने में सहायता कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदायों ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है और इसको पहचान मिलनी चाहिये और इसे डिजिटल संग्रहालयों के जरिये भविष्य की पीढ़ियों के लिये दर्ज किया जाना चाहिये।
प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्यपाल विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी हैं। उन्होंने कहा कि 21 जून के अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर का युवाओं में योग के बारे में जागरूरकता बढ़ाने के लिये प्रयोग किया जा सकता है। इसी तरह, उन्होंने जोर दिया कि महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर आयोजित किये जाने वाले कार्यक्रमों के लिये विश्वविद्यालय केंद्रीय भूमिका निभा सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने विकास से संबंधित कुछ अहम विषयों की भी चर्चा की जैसे राष्ट्रीय पोषण अभियान, गावों का विद्युतीकरण, और आकांक्षी जिलों में जिलों में विकास से संबंधी मानक। उन्होंने सुझाव दिया कि राज्यपाल उन गावों का दौरा कर खुद विद्युतीकरण के लाभ जान सकते हैं जिनमें हाल ही में बिजली पहुंची है।
उन्होंने कहा कि हाल ही में 14 अप्रैल से चालू गये ग्राम स्वराज अभियान के तहत 16,000 गावों में सरकार की 7 योजनाओं को पूरी तरह से लागू किया गया है। उन्होंने कहा कि जन भागीदारी के जरिये इन गावों को 7 समस्याओं से पूरी तरह से मुक्त किया गया है। उन्होंने कहा कि ग्राम स्वराज अभियान को 15 अगस्त के लक्ष्य के साथ अब 65,000 नये गावों में लागू किया गया है।
प्रधानमंत्री ने सुझाव ने कहा कि अगले वर्ष आयोजित होने वाले 50वें राज्यपाल सम्मेलन के लिये तैयारी तुरंत आरंभ कर दी जानी चाहिये। इस प्रयास के जरिये इस वार्षिक आयोजन को और अधिक उपयोगी बनाने की कोशिश करनी चाहिये।