धर्मवीर गुप्ता
प्रदेश सरकार ग्राम पंचायतों में होने वाले पंचवर्षीय चुनावो को लेकर भले ही गम्भीर हो लेकिन इस चुनाव को पारदर्शी बनाने के लिए लगाए गए कर्मचारी ही अपने कर्तव्यों के प्रति जिम्मेदार नही है. ऐसा हम नही कह रहे है प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले से आने वाली ये तस्वीर ये कहने को मजबूर कर रही है। जिले में मतदाता सूची सामने आने के बाद बड़े पैमाने पर की गई गड़बड़ी का मामला सामने आने लगा है।
जिले के इटवा तहसील क्षेत्र के ग्राम बिरवापुर में 32 ऐसे लोग हैं, जिनकी मौत हो चुकी है, परंतु इनके नाम को सूची से नहीं हटाया गया है। मतलब कि मतदाता सूची में गड़बड़ी तो चुनाव में भी खेल हो सकता है, फिर मृतक मतदाता के नाम से वोट पड़ जाएं, तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी और इसके लिए जिम्मेदार होंगे गांव के बीएलओ शिव कुमार प्रजापति जिन्होंने मतदाता सूची में खेल किया है।
मृतक मतदाताओं के नाम जहां नहीं हटाए, वहीं करीब 42 ऐसी लड़कियों के नाम है, जिनकी शादी हो चुकी है और वह अपने ससुराल जा चुकी हैं। प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया, तो त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव निष्पक्ष तरीके से करा पाना आसान नहीं होगा।
ग्रामीणों ने इसकी शिकायत भी की है कि मो. अली, कलावमी, रामरती, विमला, हनीफ, कयूम, जमीरूल्लाह, जगदीश, बसंती देवी सहित 32 लोगों के ऐसे नाम प्रकाशित वोटर लिस्ट में है, जो मृतक हो चुके हैं और इन लोगो का नाम सूची से नहीं हटाया गया है। इसी प्रकार इसराजुन्निसां, शबाना खातून, शरातुन्निसां, नियमा, पुनीता, परवीन, महिमा, सुनीता, पिकी, सोनी ऐसी 42 लड़कियों के नाम सूची में दर्ज है, जिसकी शादी हो चुकी है। मतदाता सूची पुनरीक्षण में इनका नाम न कटना बीएलओ को कटघरे में खड़ा कर रहा है।