शुक्रवार शुबह को प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की है कि सरकार संसद के आगामी सत्र में सभी 3 कृषि कानूनों को वापस ले लेगी।
मोदी सरकार का कहना है कि वह इस निर्णय पर पहुंचे हैं क्योंकि वे कुछ किसानों को कृषि कानूनों के लाभों के बारे में समझाने में असमर्थ थे। लेकिन सच तो यह है कि मोदी सरकार किसानों को पीछे धकेलने में विफल रहा।
जानिए कृषि कानूनों पर मोदी सरकार की यू टर्न की असली वजह
* मोदी सरकार ने पूरे एक साल तक किसानो को पीछे धकेलने की कोशिश की लेकिन किसान नहीं झुके।
* 750 से ज्यादा किसानों की मौत मोदी सरकार के वजह से हुई, लेकिन किसानो ने हार नहीं मानी।
* एक मंत्री के बेटे ने किसानो पर अपनी कार चलाई, 4 किसान दब के मर गए लेकिन किसान पीछे नहीं हटे।
* मोदी सरकार ने किसानो को गिरफ्तार करने की कोशिश की लेकिन यह भी काम नहीं किया।
* मोदी सरकार ने अपनी पुलिस से किसानो पर लाठीचार्ज किया लेकिन किसान खड़े रहे। बिना एक इंच भी अपनी जगह से हिले।
* मोदी सरकार ने अपनी आईटी टीम से किसानो को आतंकवादी खालिस्तानी जाने क्या क्या कहा लेकिन किसानो ने परवाह नहीं की।
* और जब कुछ भी काम नहीं आया और उनके पास दो बड़े राज्य चुनाव सर पर हैं, तो मोदी सरकार ने हार मानने का फैसला किया।
ऐसा नहीं है कि मोदी सरकार किसानो को समझाने में सक्षम नहीं था, मूल रूप बात यह है कि मोदी सरकार किसानो को धमकाने डराने में सक्षम नहीं था। मोदी सरकार मूल्य रूप से एक डराने धमकाने वाली सरकार हैं। जो अपने से कमज़ोर लोगो पर मन मर्ज़ी से राज करना चाहती हैं। डराने धमकाने वाली सरकार जिसने किसानो को डराने धमकाने में विफल रही इसी वजह से किसानों से हार गयी। बाकी जानकारों के अपने अपने विश्लेषण बहुत सारे हैं। लेकिन मूल्य वजह तो यही हैं कि किसानों के हौसले से मोदी सरकार डर गयी और पीछे हट गई।