नीरज/ समाजवादी पार्टी के अल्पसंख्यक सभा के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री रियाज अहमद ने तीन तलाक के मुद्दे पर एक नई परिभाषा गढ़ दी है। इसको सार्वजनिक करके उन्होंने नए विवाद को जन्म दे दिया है। उन्होंने इस संबंध में कुरान और हदीस का भी हवाला दिया। तलाक पर उन्होंने कहा कि इस पर तो कुरान में पूरा एक चैप्टर है ,मगर लोग पढ़ते ही कहाँ हैं। उनका ये विवादित बयान बरेली में प्रेस कांफ्रेंस में सामने आया।
तीन तलाक और हलाला को लेकर पूरे देश में बहस लंबे समय से चल रही है। हर दिन कोई नई घटना से रूबरू होना पड़ता है। इस विवाद पर तरह तरह की टिप्पणियों के माध्यम से सार्वजनिक कर नेता विवाद पैदा कर देते है। इसके पीछे सस्ती लोकप्रियता हासिल करना और चर्चा में बने रहना होय है। इसी कड़ी में समाजवादी पार्टी के अल्पसंख्यक सभा के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री रियाज अहमद ने भी तीन तलाक़ विवादित बयान देकर अपने को चर्चा में का दिया है। उन्होंने आज जो व्यं दिया वह कितना उचित या राजनैतिक प्रेरित है,या उसके पीछे उनका क्या उद्देश्य है,वही जाने पर वे इसके बाद चर्चा में जरूर आगये हैं।उनके द्वारा तीन तलाक़ के मुद्दे पर जो नई परिभाषा गढ़ी गई है उनके अनुसार पत्नी को उसके अवैध संबंधों की वजह से पति एक बार में तीन तलाक देता है। यह व्यवस्था कुरान और हदीस ने दी गई है।
बरेली में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि अगर मर्द अपनी पत्नी को किसी दूसरे पुरुष के साथ आपत्ति जनक स्तिथि में देखता है,उस स्तिथि में तो वो पत्नी की हत्या कर अपराध कर देगा। मगर इस्लाम में इसका विकल्प तलाक़ के रूप में दिया गया है। जिससे अपराध किए बिना ही समस्या का समाधान दिया गया है। तीन बार तलाक देकर पत्नी से छुटकारा पा ले।
समाजवादी पार्टी के कार्यालय पर रियाज अहमद ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि तीन तलाक पर भी उन्होंने कहा कि भाजपा मुस्लिम महिलाओं की इतनी बड़ी शुभचिंतक है तो महिला आरक्षण बिल में मुस्लिम महिलाओं को अलग से 8% आरक्षण दे। उन्होंने आंकड़े गिनाते हुए कहा कि अदालतों में सबसे ज्यादा तलाक के मामले हिंदुओं के हैं, जबकि सबसे कम के मुसलमानों के हैं।