पद्म विभूषण जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य द्वारा महात्मा बुद्ध पर की गई टिप्पणी का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। महात्मा बुद्ध के अनुयायियों के साथ ही मौर्य समाज के लोगों की तरफ से उनकी टिप्पणी पर विरोध व्यक्त किया जा रहा है।
इसी को लेकर पिछले 3 मार्च को अमेठी तहसील में मौर्य समाज एवं बौद्ध समाज के लोगों ने धरना प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन दिया था और कार्रवाई करने की मांग की थी। लेकिन किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई ना होने के बाद एक बार फिर से दोनों समाज के लोगों ने सैकड़ों की तादाद में इकट्ठा होकर जनपद मुख्यालय गौरीगंज की सड़कों पर धरना प्रदर्शन करते हुए हाथों में स्वामी रामभद्राचार्य के विरोध में तख्ती लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे।
जहां पर तहसीलदार को पूरा ज्ञापन पढ़ कर सुनाया और महामहिम राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से देने के लिए तहसीलदार गौरीगंज को सौंपा। इस ज्ञापन में स्पष्ट रूप से लिखा है कि स्वामी रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय चित्रकूट के कुलाधिपति हैं। महामानव तथागत बुद्ध पर बहुत ही अपमानजनक अशोभनीय टिप्पणी कानपुर विश्वविद्यालय के हैप्पीनेस सेंटर के उद्घाटन के दौरान बतौर मुख्य अतिथि अपने वक्तव्य में कही थी। जिससे पूरे विश्व में बौद्ध धर्म को मानने वाले बुध की अनुयायियों में रोष व्याप्त है। विश्व गुरु तथागत बुद्ध को मानने वाले उनके अनुयायियों की भावनाएं आहत हुई हैं। बुद्ध जी को एशिया का प्रकाश कहा गया था जिनकी बदौलत भारत को विश्व गुरु का दर्जा प्राप्त हुआ। जिनके समय में नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालय में अनेकों देशों के लोग भारत आकर शिक्षा ग्रहण किया करते थे। भारत के प्रधानमंत्री भी जब विदेशों में जाते हैं तो कहते हैं कि मैं भगवान बुद्ध की धरती से आया हूं। बुद्ध जी ने विश्व में शांति का संदेश देते हुए संपूर्ण विश्व में ज्ञान की ज्योति जलाने का काम किया है। अतः आपसे अनुरोध है कि रामभद्राचार्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाते हुए कानूनी कार्रवाई करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देशित करने का कष्ट करें। जिससे रामभद्राचार्य जी की तरह बुद्ध जी पर अशोभनीय टिप्पणी करने का साहस कोई और न कर पाए।