नोएडा। जैनपेक्ट कंपनी के खिलाफ फर्जी सेक्सुअल आरोपों के कारण कंपनी से निकाले गए स्वरुप राज की आत्महत्या के बाद आज उनकी पत्नी सहित सैकडों लोगों ने कंपनी के गेट के सामने प्रदर्शन किया। इन लोगों का आरोप है कि जैनपेक्ट कंपनी के लोगों ने साजिश के तहत स्वरुप राज को पहले तो छेडछाड़ के मामले में आरोप लगवाया और उसके बाद बिना जाँच के ही स्वरुप को कंपनी से सस्पेंड कर दिया गया।
गौरतलब है कि मंगलवार, 18 दिसंबर, 2018 को बहुराष्ट्रीय कंपनी जेनपैक्ट के एवीपी 31 वर्षीय स्वरुप राज ने अपने आवास पर पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली थी। स्वरुप राज का शव उसकी पत्नी कृति ने फांसी पर लटका हुआ पाया। नोएडा के सेक्टर 137 नोएडा में उनके रहने के बाद उनका निवास था उनकी पत्नी कृति भी जेनपैक्ट की एक कर्मचारी है और अपने पति के साथ में उसी कार्यालय में काम करती हैं।
स्वरूप राज जो एरनाकुलम केरल के निवासी हैं और जेनपैक्ट में पिछले 11 वर्षों से काम कर रहे थे पर कंपनी की ही दो महिलाओं ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। जिसके बाद कंपनी के आंतरिक शिकायत कमेटी द्वारा बिना किसी पूछताछ के स्वरुप को निलंबित कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के वकील और सेव इंडियन फैमिली फाउंडेशन (SIFF) के अत्तर भारत के अध्यक्ष रूपेन्शु प्रताप सिंह ने कहा कि इस मामले पर गंभीरता से लेने की जरुरत है क्योंकि POSH जैसे कानूनों का दुरुपयोग के कारण एक निर्दोष व्यक्ति की जन गई है। यह संभावना है कि कई और निर्दोष पुरुष एसे मामलों को झेल रहे होंगे। इस तरह के झूठे आरोपों के लिए उनका जीवन बर्बाद हो रहा है और POSH जैसे कॉर्पोरेट्स, ICC और विधानों की भूमिका का पुनर्निर्माण किया जाना चाहिए।
इस मामले में कंपनी यह महसूस करने में विफल है कि यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया जाना एक है बेहद संवेदनशील मामला है और आरोपी के मानस और प्रतिष्ठा पर गहरा प्रभाव पडता है।विशेष रूप से बड़े बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कॉर्पोरेट वातावरण में माहौल ऐसा है कि कोई भी यौन उत्पीड़न के आरोपी सामाजिक प्रतिबंधों का सामना करते हैं, ऐसी परिस्थितियों में यह महत्वपूर्ण है कि अभियुक्त को तब तक दोषी नहीं माना जाए जब तक आरोप सिद्ध ना हो जाएं।
सेव इंडियन फैमिली फाउंडेशन (SIFF) के चिल्ड्स राइट विंग के प्रमुख ने कहा कि इस मामले में, ऐसा लगता है कि कंपनी और मानव संसाधन विभाग ने निलंबन जारी करते हुए गलत फैसला लिया और निलंबन आदेश भी बेहद आक्रामक तरीके से लिखे गए हैं।
भारतीय फ़ैमिली फ़ाउंडेशन (SIFF) के मीडिया समन्वयक विक्रम बिसयार ने कहा कि निलंबन को POSH के दायरे में रहना चाहिए बिना किसी जांच के और मृतक कर्मचारी को बिना अपना पक्ष रखने का मौका दिए कैसे निलंबन का आदेश लिख सकता है।
वहीं मृतक स्वरूप राज की पत्नी कृति श्रीवास्तव ने कहा जैनपैक्ट शिकायतकर्ता के नामों का खुलासा क्यों नहीं कर रहा है,मैं भी उसी कंपनी में काम कर रही हूं और स्वरूप ने मुझे सबके बारे में सब कुछ बताया, अगर वे मुझे नाम बताएंगे तो कम से कम मैं यह पता लगा सकता हूं कि क्या स्वरूप ने मुझे उन लोगों के बारे में बताया है। MeToo आंदोलन लिंग तटस्थ होना चाहिए,इस आंदोलन के रूप में निर्दोष लोगों के जीवन को खत्म कर रहा है। अब तक जैनपैक्ट ने आधिकारिक तौर पर हमसे न तो संपर्क किया और न ही हमसे मुलाकात की।