दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने प्रेस वार्ता में कहा कि दिल्ली में पिछले दो- तीन हफ़्तों से पॉजिटिविटी दर में काफी गिरावट आई है और अब यह घट कर 7.35 प्रतिशत रह गया है। उन्होंने ने बताया कि पॉजिटिविटी दर में आने वाली यह कमी काफी संतोषजनक और राहत देने वाली बात है। सतेंद्र जैन ने बताया कि कल दिल्ली में 3726 कोरोना के नए मामले सामने आए थे और कल पॉजिटिविटी दर 7.35 प्रतिशत थी, जबकि 7 नवंबर को 15.26 प्रतिशत थी।
*आरटी-पीसीआर जांच की फीस घटा कर 800 रुपए की गई*
स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने बताया कि दिल्ली में अब कोविड-19 से जंग में सबसे असरदार साबित होने वाली आरटी-पीसीआर जांच की फीस कम कर दी गई है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सभी प्राइवेट लैब्स को आरटी-पीसीआर टेस्ट की फीस 2400 रुपये से घटाकर 800 रुपये करने का निर्देश दिया है। साथ ही, अगर घर जा कर मरीज का सैंपल लिया जाता है, तो उसका शुल्क 1200 रुपए होगा। उन्होंने कहा कि इससे कोविड-19 जांच के लिए प्राइवेट लैब्स में जाने वाले लोगों को काफी राहत मिलेगी।
*जाँच रिपोर्ट आने में हो रही देरी के यह हैं कारण*
आरटी-पीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट आने में देरी के कारण का जवाब देते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सभी लैब्स और हॉस्पिटल्स को यह निर्देश दिया गया है कि सैंपल्स कलेक्ट करने के 24 घंटे के अंदर रिपोर्ट आ जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट देरी से आने का मुख्य कारण लैब्स की कमी है। मंत्री ने बताया कि देश में सारे कोरोना लैब का संचालन आईसीएमआर करती है। हम इस पर केंद्र सरकार और आईसीएमआर से बात कर रहे हैं। मंत्री ने बताया कि कोरोना लैब अगर अपनी पूरी क्षमता से 10 प्रतिशत कम टेस्ट करती हैं, तब 24 घंटे में रिपोर्ट देती हैं, लेकिन अभी सारे लैब्स अपनी पूरी क्षमता में टेस्ट कर रहे हैं, जिसकी वजह से देरी हो रही है। उन्होंने कहा कि हम केंद्र सरकार और आईसीएमआर से बात कर के रिपोर्ट मिलने में होने वाली इस देरी की समस्या को जल्द से जल्द सुलझा लेंगे।
*किसानों के आन्दोलन से दिल्ली वासियों को नही हो रही है कोई दिक्कत*
स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने किसान आंदोलन के कारण दिल्ली और दिल्ली वालों को हो रही परेशानी पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा कि हमें पहले उन किसानों का सोचना चाहिए, जो 500 किलोमीटर दूर अपने घरों से चलकर अपनी बात और परेशानी बताने आएं है। केंद्र सरकार को जल्द से जल्द किसानों की परेशानियों पर ध्यान देना चाहिए और उनसे बात कर के कृषि क़ानूनों में बदलाव या उनकी जो भी परेशानी हैं, उसे दूर करनी चाहिए।