चाय पानी से लेके गाड़ियों का रेट किया चुनाव आयोग ने तय : देखिये पूरी रिपोर्ट

अब बस कुछ ही दिनों में देश में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे है  जल्द होने जा रहे इसलिए जिला चुनाव अधिकारी (डीईओ) ने सभी उम्मीदवारों को समान अवसर प्रदान करने का निर्णय लिया है। विधानसभा चुनाव के दौरान होने वाले खर्च के लिए निर्वाचन आयोग ने अलग- अलग मदों में खर्च की जाने वाले रकम की सीमा तय कर दी है। 

चूंकि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को एक महीने से भी कम समय है, इसलिए जिला चुनाव अधिकारी (डीईओ) ने सभी उम्मीदवारों को समान अवसर प्रदान करने का निर्णय लिया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, डीईओ ने प्रचार के समय प्रत्येक उम्मीदवार द्वारा खर्च की जा सकने वाली सेवाओं और वस्तुओं के लिए एक रेट चार्ट जारी करके अभियान खर्च पर एक सीमा तय की है।

चाय पानी समोसा का रेट तय 

एक उम्मीदवार को चार पूरी और एक मिठाई के नाश्ते के लिए 37 रुपये प्रति प्लेट। एक समोसा और एक कप चाय के लिए 6 रुपये खर्च करने की अनुमति है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एमआरपी पर मिनरल वाटर की बोतलें खरीदने की अनुमति होगी। एक उम्मीदवार प्रचार के लिए 16 रुपये प्रति मीटर की दर से फूलों की माला खरीद सकता है और तीन ड्रमर 1,575 रुपये प्रति दिन के हिसाब से किराए पर ले सकता है।

गाड़ियों के रेट हुए फ़िक्स 

डीईओ ने बीएमडब्ल्यू और मर्सिडीज जैसी लग्जरी कारों के किराए की दर भी तय की है। जहां एसयूवी मित्सुबिशी पजेरो स्पोर्ट को अधिकतम 12,600 रुपये प्रति दिन के हिसाब से किराए पर लिया जा सकता है, वहीं लग्जरी कारें 21,000 रुपये प्रति दिन की दर से आएंगी। स्कॉर्पियो और टवेरा जैसी दूसरी बड़ी कारों का किराया 1,890 रुपये प्रतिदिन है। जबकि जीप, बोलेरो और सूमो की कीमत 1,260 रुपये प्रतिदिन होगी।

सभी उम्मीदवारों को चुनाव परिणाम घोषित होने के 30 दिनों के भीतर अपने चुनाव खर्च के खाते की एक प्रति डीईओ के पास दाखिल करना अनिवार्य है। एक अधिकारी ने कहा कि ऐसा करने में विफलता के परिणामस्वरूप अयोग्यता होगी।

इससे पहले डीईओ द्वारा निर्धारित कैप के अलावा, भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) ने इस महीने की शुरुआत में यूपी विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों की खर्च सीमा 28 लाख से बढ़ाकर 40 लाख रुपये कर दी थी। चुनाव आयोग ने कहा था, “यदि खर्च की कोई सीमा नहीं होती, तो राजनीतिक दल चंदा इकट्ठा करने के लिए बाहर निकल जाते। बड़े धन का हानिकारक प्रभाव देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नियंत्रित करने में भूमिका निभाएगा।”

चुनाव आयोग की रहेगी पैनी नजर

ये खर्च महंगाई बढ़ने के साथ- साथ वर्चुअल मोड में प्रचार करने डिजिटल और सोशल मीडिया पर होने वाले प्रचार अभियान केअतिरिक्त खर्च को ध्यान में रखते हुए बढ़ाया गया है। अब आयोग और प्रचार में लगे उम्मीदवारों के लिए चुनौती है कि वो इन मदों में खर्चा कैसे दिखाएंगे। अब चुनाव आयोग सभी उमीदवार पर रखेगी पैनी नजर।   

News Reporter
Akash has studied journalism and completed his master's in media business management from Makhanlal Chaturvedi National University of journalism and communication. Akash's objective is to volunteer himself for any kind of assignment /project where he can acquire skill and experience while working in a team environment thereby continuously growing and contributing to the main objective of him and the organization. When he's not working he's busy reading watching and understanding non-fictional life in this fictional world.
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