सन्तोषसिंह नेगी/ 19 नवंबर को बद्रिकाश्रम बद्रीनाथ से शुरू हुई गांधी यात्रा का समापन आजादी की लड़ाई में कुली बेगार प्रथा का प्रतिरोध हेतु प्रसिद्ध स्थल ककोड़ा खाल में हुआ । इससे पूर्व इस स्थल पर वृक्षारोपण एवं एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।
मंगलवार को गांधी यात्रा के पांचवें एवं अंतिम दिन यात्रा कोटकी गांव से शुरू होते हुए ककोड़ा खाल पहुंची ,इस स्थल पर कुली बेगार प्रथा का प्रतिरोध आजादी के दौरान किया गया था। यात्रियों ने सर्वप्रथम इस स्थल पर स्मृति स्थल पर माल्यार्पण कर यात्रा का समापन किया । बाद में आयोजित गोष्ठी मे मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार रमेश पहाड़ी ने कहा कि हरि कथा भगवान की कथा का तो अंत हो सकता है लेकिन गांधी जी का जीवन और उससे मिलने वाली शिक्षा का कहीं भी अंत नहीं पाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमें गांधी के जीवन और उनकी शिक्षा से सीख लेने की जरूरत है सी पी भट्ट पर्यावरण एवं विकास केंद्र के मंगला कोठियाल ने कहा गांधी का जीवन आज भी प्रासंगिक है उनके दर्शन और अनुभव का लाभ लिया जाना चाहिए । शिक्षक सतेंद्र भंडारी ने कहा कि पर्यावरण को लेकर गांधी ने कहां की 100 साल पूर्व ही गांधी ने कहा कि हमें पृथ्वी के उपयोग और दोहन के बीच के अंतर को समझना होगा, तभी पृथ्वी को बचाया जा सकता है। शिक्षक धन सिंह घरिया ने कहां की गांधी कि सत्य और अहिंसा के विचारों को अपने जीवन में कहीं न कहीं आत्मसात करना चाहिये। इस दौरान श्यामलाल सुंदरयाल, बाम देव,मधुसूदन आर्य,रंजना गैरोला, मानवेन्द्र सिंह, वीरेंद्र सिंह भंडारी, कोटकी के प्रधनाचार्य चंद्र प्रकाश खंडूरी, ओम भट्ट, रमेश थपलियाल, विनय सेमवाल,प्रधान राजबीर सिंह राणा आदि ने विचार व्यक्त किये