उत्तर प्रदेश की राजनीति में जातीय समीकरण अहम भूमिका अदा करते रहे हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में जातीय समीकरणों को साधने के लिए राजनीतिक दलों की तरफ से जोर-अजमाईश जारी है। असल में जातीय आधार पर यूपी की सियासत को देखे तो प्रदेश में सबसे अधिक ओबीसी मतदाता हैं। जिसके बाद दलित मतदाताओं की संख्या है। जिनकी संख्या कुल मतदाताओं की तुलना में 22 फीसदी है। ऐसे में भीम आर्मी के संस्थापक और आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने सोशल मीडिया पर एक बार फिर पदोन्नति में आरक्षण का मुद्दा उठा दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया एप कू पर एक के बाद एक कई पोस्ट किया। उन्होंने लिखा कि पदोन्नति में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद सभी राजनैतिक पार्टियां चुप क्यों हैं? क्या वह बतायेंगी कि एससी-एसटी कर्मिकों को न्याय कैसे मिलेगा? या केवल वोट की राजनीति के लिये इनका इस्तेमाल करते रहेंगे ?
आगे उन्होंने लिखा कि पिछले लगभग 10 वर्षों से पदोन्नति में आरक्षण संवैधानिक संशोधन 117वां बिल राज्यसभा से पारित होने के बाद लोकसभा में लम्बित है, उसे केन्द्र की मोदी सरकार कब पास करायेगी ? या झूठे दलित प्रेम का नाटक जारी रखेगी? इसके साथ ही उन्होंने समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए लिखा कि उ.प्र.की सपा सरकार द्वारा लगभग 2 लाख दलित कार्मिकों को रिवर्ट किया गया, आज भी वह खून के आंसू रो रहे हैं, उनकी सुध कब ली जायेगी ? यूपी में 85 बनाम 15 की बात करने वाले सभी राजनैतिक दल एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के कर्मिकों के लिये पदोन्नति में आरक्षण का मुद्दा कब उठायेंगे? आजाद समाज पार्टी एससी, एसटी और ओबीसी के पदोन्नति में आरक्षण लागू करा कर रहेगी, ये हमारा संकल्प है।