आकाश रंजन: बीते बुधवार को सॉफ्टवेयर फर्म फ्रेशवर्क्स ने नैस्डैक स्टॉक एक्सचेंज में अपनी शुरुआत की। शुरुआत करते ही पहले दिन में ही एक अरब डॉलर अपने IPO के ज़रिये जुटाने में कामयाब रही। नैस्डैक स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट होने वाली यह पहली भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी है। कंपनी का मुख्यालय कैलिफोर्निया के सैन मेटो में है। एक अरब डॉलर जुटाने के बाद फ्रेशवर्क्स के शेयरों में 32 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गयी।
न्यूयॉर्क ट्रेडिंग क्लोजिंग टाइम पर फ्रेशवर्क्स कंपनी के शेयर 47.55 डॉलर पर थे जिससे इसे 13 अरब डॉलर का फ़ायदा मिला। जिसके बाद 500 से अधिक भारतीय कर्मचारी रातो रात बन गए करोड़पति। जिसमे लगभग 70 कर्मचारीयो की उम्र 30 वर्ष से नीचे है। इस सॉफ्टवेयर कंपनी में कर्मचारी सिर्फ कर्मचारी ही नहीं बल्कि कंपनी के शेयर होल्डर भी है। लगभाग 76 प्रतिशत कर्मचारी शेयर होल्डर है। इसी वजह से 500 से अधिक कर्मचारी रातो रात करोड़पति बन गए है।
कौन है फ्रेशवर्क्स के मालिक
फ्रेशवर्क्स के सीईओ और सह-संस्थापक गिरीश मातृबूथम है। गिरीश मातृबूथम तमिल नाडु के त्रिची से ताल्लुक रखते है। इंजीनियरिंग करने के बाद मद्रास यूनिवर्सिटी से MBA पूरा किया। उसके बाद जोहो नाम की सॉफ्टवेयर कंपनी से जुड़े। जी नाम से है अपने दोस्तों में मशहूर। मध्यमवर्गीय पृष्ठभूमि से आने वाले मातृबूथम ने अक्सर कहा है कि वह हमेशा एक औसत छात्र थे। उनके पिता एक बैंक कर्मचारी थे।
2021 में कंपनी को सफलतापूर्वक यूएस में सूचीबद्ध किया गया जिसका मूल्य 10 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक था। 2021 तक फ्रेशवर्क्स के सीईओ गिरीश मातृबूथम की कुल संपत्ति 600-750 मिलियन अमरीकी डालर के बीच होने का अनुमान है। निवेशकों में गूगल भी शामिल हैं। इससे पहले 2018 में कंपनी पहली बार यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हुई थी, जिसका मूल्य एक बिलियन डॉलर से अधिक का था।
क्या कहना है गिरीश मातृबूथम का
फ्रेशवर्क्स के सीईओ और सह-संस्थापक गिरीश मातृबूथम ने ट्विटर पर नैस्डैक पर अपनी शुरुआत को सपने के सच होने के रूप में लिखा। उन्होंने ट्वीट किया त्रिची में विनम्र शुरुआत से लेकर फ्रेशवर्क्स आईपीओ के लिए नैस्डैक में घंटी बजाने तक। इस सपने में विश्वास करने के लिए हमारे कर्मचारियों, ग्राहकों, भागीदारों और निवेशकों को धन्यवाद। आगे लिखते है मुझे गर्व है कि फ्रेशवर्क्स अब नैस्डैक पर कारोबार कर रहा है। यहां तक पहुंचने के सफर में 11 साल लगे, काफी मेहनत और ढेर सारा प्यार सबको। हमारे साथ इस यात्रा पर आने वाले सभी लोगों को धन्यवाद।
गिरीश मातृबूथम का कहना ही कि उन्होंने बीएमडब्ल्यू खरीदने के लिए इस कंपनी को शुरू नहीं किया है बल्कि वह चाहते है की उनके सारे कर्मचारीयो के पास बीएमडब्ल्यू हो। और आज लगभग यह सपना पूरा होते दिख रहा है।
अपने एक इंटरव्यू में क्रिकेटर धोनी का ज़िक्र करते हुए कहते है ,मैं कप्तान के रूप में अपना काम देखता हूं ताकि जीतने के लिए सर्वश्रेष्ठ टीम को मैदान में उतारा जा सके जैसे धोनी टीम इंडिया के लिए करते थे। अभिनेता रजनीकांत के फैन भी है। चेन्नई में रजनीकांत की फिल्म रिलीज़ के दिन पूरी हॉल अपने कर्मचारीयो के लिए बुक कर लेते है।
चेन्नई के एक गोदाम से सिलिकॉन वैली तक
चेन्नई के एक गोदाम से शुरू होने वाली इस कंपनी को मातृबूथम और शान कृष्णासामी ने साल 2010 में स्टार्ट किया था। कंपनी ने अपने ग्राहक अमरीका में बनाने शुरू किये। जिसके बाद कंपनी में स्टीडव्यू कैपिटल, एस्सेल कैपिटल, सिकोया कैपिटल, टाइगर ग्लोबल मैनेजमेंट जैसी कंपनियों ने बड़े पैमाने पर निवेश किया। बाद में कंपनी अपने ग्राहकों के करीब होने के लिए सिलिकॉन वैली में ही बस गयी। हालांकि चेन्नई में उसके पास पर्याप्त कार्यबल है। इसके साथ वैश्विक स्तर पर कंपनी के 4300 कर्मचारी हैं। जिनमें से लगभग 76 प्रतिशत के पास इसमें हिस्सेदारी है। इस कंपनी की बेंगलुरु और हैदराबाद में भी मौजूदगी है। आज की डेट में इस कंपनी के 52,000+ ग्राहक है जो 120 देशों में फैले है।