आकाश रंजन : नरेंद्र मोदी सरकार ने मौजूदा आर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) को भंग कर दिया है। और ओएफबी से संबंधित कर्मचारियों और संपत्तियों को सात सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (पीएसयू) में तब्दील कर दिया है। 28 सितंबर के सरकारी आदेश द्वारा ओएफबी के निगमीकरण पर जोर देने के निर्णय के बाद यह फैसला आया है जो 1 अक्टूबर 2021 से लागू होगा। इस आदेश के साथ 41 उत्पादन कंपनियों और गैर-उत्पादन कंपनियों को सात सरकारी कंपनियों (भारत सरकार के पूर्ण स्वामित्व वाली) में तब्दील कर दिया गया है।
इस उद्देश्य के लिए रक्षा मंत्रालय के तहत बनाए गए सात नए सार्वजनिक पीएसयू कुछ इस प्रकार हैं, मुनिशन इंडिया लिमिटेड, आर्मर्ड व्हीकल निगम लिमिटेड, एडवांस्ड वेपन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड, ट्रूप कम्फर्ट्स लिमिटेड, यंत्र इंडिया लिमिटेड, इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड और ग्लाइडर्स इंडिया लिमिटेड है।
ओएफबी को निगमीकृत करने के फैसले के बाद कर्मचारी संघों द्वारा विरोध किया गया। जिसमे ओएफबी के तीन कर्मचारी संघों ने हड़ताल पर जाने की धमकी दीं थी। जुलाई में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ओएफबी जैसे रक्षा प्रतिष्ठानों में कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने से रोकने के लिए एक आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक 2021 पेश किया। इसे संसद ने अगस्त में पारित किया था। जीससे कर्मचारियों द्वारा हड़ताल किये जाने पर प्रतिबंध लगा गया।
कॉरपोरेटाइजेशन के बाद, नई संस्थाएं निजी क्षेत्र में रक्षा निर्माताओं के साथ घरेलू और विदेशी दोनों के साथ साझेदारी करने में सक्षम होंगी। जैसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने किया है। कॉरपोरेटाइजेशन इन इकाइयों के लिए नया हार्डवेयर और टेक्नोलॉजी लाएगा। जिससे उन्हें मौजूदा बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी जो कई मामलों में पुराना है। नई संस्थाएं क्षमता उपयोग में सुधार, प्रतिस्पर्धा का सामना करने और नए निर्यात अवसरों का पैदा करने के लिए भी बेहतर स्थिति में होंगी।
ये नई 7 संस्थाएं मध्यम अवधि में उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाते हुए लाभ को बनाए रखने में भी काफी मददगार साबित हो सकती है। सरकार का मानना है कि ओएफबी के निगमीकरण से 2024-25 तक कारखानों का कारोबार बढ़कर 30,000 करोड़ रुपये हो सकता है। निर्यात को कारोबार के 25 प्रतिशत तक बढ़ाने में मदद मिल सकती है। प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता बढ़ सकती है। जो वर्तमान में 20-25 प्रति तक सीमित है। 2028-29 तक 75 प्रतिशत से अधिक भी हो सकता है।
ओएफबी की शुरुआत 1775 में हुई जब ब्रिटिश अधिकारियों ने फोर्ट विलियम कोलकाता में बोर्ड की स्थापना को स्वीकार कर लिया। 1775 में ईशापुर में एक गन पाउडर फैक्ट्री की स्थापना की गई जिसने 1787 से उत्पादन शुरू किया। 1947 में भारत के स्वतंत्र होने से पहले 18 कारखाने थे। दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा रक्षा निर्माता और एशिया में दूसरा सबसे बड़ा बोर्ड का तमगा है इसके पास।