उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में गोमती नगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तरफ से पुस्तक विमोचम कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर की लिखी पुस्तक ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ : स्वर्णिम भारत के दिशा-सूत्र’ का विमोचन किया।
इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को समझने के लिए उसके सेवा भाव को समझना होगा। उन्होंने कहा कि आरएसएस एक ऐसा संगठन है, जो बिना किसी सरकारी सहयोग के सेवा कार्यों में लगा रहता है। योगी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ-स्वर्णिम भारत के दिशा सूत्र मात्र एक पुस्तक नहीं है। यह एक दृष्टि है। उन्होंने कहा कि संघ का सेवा कार्य लोगों को बरबस ही अपनी ओर खींचता है। बूंद और शक्कर के मिलन की तरह ही आरएसएस अपनी उपस्थिति का एहसास कराता रहा है। शक्कर की तरह इसे हर कोई एहसास करता है। यही इस पुस्तक में भी दिया है। यदि संघ को समझना है तो उसके सेवा भाव को समझना होगा।
उन्होंने कहा कि कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन में भी संघ ने अपना एहसास कराया। हर कोई चिंतित था कि कैसे लॉकडाउन में परिस्थितियों को संभाला जाये। जहां दुनिया का हर व्यक्ति स्वतंत्रता का सदुपयोग व दुरपयोग दोनों करना जानता है, ऐसे में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पहला संगठन था, जो लोगों को घर-घर जाकर सहायता पहुंचाने के लिए आगे आया था। राज्य सरकारों ने उपेक्षा की होगी लेकिन आरएसएस ने किसी की उपेक्षा नहीं की। सेवा की यह पराकाष्ठा रही कि लोगों को चप्पल पहनाने से लेकर घर पहुंचाने तक का काम किया था। आरएसएस ने किसी की जाति किसी का धर्म नहीं पूछा था।
उन्होंने कहा कि इसी का नतीजा रहा कि मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने में सरकारों को सहायता मिल पायी। देश में कहीं भी आपदा आती है तो स्वयं सेवक हमेशा खड़ा रहता है। आपदा के समय खुद की परवाह नहीं करते हुए गरीबों के जीवन में किस तरह संघ ने आनंद भरा, यह पूरी दुनिया ने देखा है।