तृप्ति रावत/ साल का आखिरी सूर्य ग्रहण आज दोपहर 1 बजकर 32 मिनट 08 सेकेंड बजे से आंशिक सूर्य ग्रहण शुरू होगा और शाम 5 बजे तक रहेगा। इस सूर्य ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 28 मिनट की होगी। ये आंशिक सूर्य ग्रहण उत्तरी और पूर्वी यूरोप, उत्तरी अमेरिका और पश्चिम एशिया में दिखाई देगा। भारत में सूर्य ग्रहण नही दिखाई देगा इसलिए सूतक संबंधी नियमों का पालन करने की जरुरत नही है।
धार्मिक महत्तव के अनुसार आज सूर्य ग्रहण के साथ-साथ शनि अमावस्या भी है। ज्योतिष के अनुसार जिनका कार्य विदेशों से संबंधित है उन पर सूर्य ग्रहण का प्रभाव पड़ सकता है। वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुंभ राशि पर कुछ असर देखने को मिल सकता है। कुंभ राशि वालों के लिए यह थोड़ा परेशानी का कारण बन सकता है, उन्हें हर फैसले संभल कर लेने होंगे। कन्या राशि वालों को लाभ हो सकता है। वहीं वृषभ राशि वालों को भी थोड़ी सचेत रहने की जरूरत है। सिंह राशि वाले सेहत को लेकर सचेत रहें। हालांकि भारत में ग्रहण का प्रभाव बिल्कुल नहीं होगा।
आंशिक सूर्य ग्रहण क्या होता है?
पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमने के साथ-साथ अपने सौरमंडल के सूर्य के चारों ओर भी चक्कर लगाती है। दूसरी ओर, चंद्रमा दरअसल पृथ्वी का उपग्रह है और उसके चक्कर लगता है, इसलिए, जब भी चंद्रमा चक्कर काटते-काटते सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है, तब पृथ्वी पर सूर्य आंशिक या पूर्ण रूप से दिखना बंद हो जाता है।
इसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। सूर्य ग्रहण आंशिक और पूर्ण दोनों तरह का हो सकता है। आंशिक सूर्य ग्रहण में चंद्रमा सूर्य के कुछ ही हिस्से को ढकता है और जब इस नजारे को पृथ्वी से देखा जाए तो सूर्य एक डिस्क की तरह दिखाई देता है।
एक तरफ जहां यह भारत में आज का आंशिक सूर्य ग्रहण दिखाई नहीं देगा लेकिन उत्तरी गोलार्ध में यह दिखाई देगा। इस बार का सूर्य ग्रहण साइबेरिया में अच्छे से दिखाई देगा। यहां लोग 65 फीसदी सूर्य ग्रहण देख पाएंगे। इसलिए यह सलाह दी गई कि लोग इसे देखने के लिए स्पेशल ग्लास या फिर लेंस का इस्तेमाल करें। ग्रहण को नग्न आंखों से बिल्कुल न देखें।
सूर्य ग्रहण की मान्यताएं
सूर्य ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ और मूर्ति पूजा नहीं करनी चाहिए। मान्यता है कि सूर्य ग्रहण के दौरान तुलसी और शामी के पौधे को नहीं छूना चाहिए। ग्रहण काल के दौरान खाना खाने और पकाने की मनाही होती है। मान्यता है कि ग्रहण के दौरान सोना नहीं चाहिए। ग्रहण के वक्त मंत्रों का उच्चारण करने का चलन है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार ग्रहण काल खत्म होने के बाद पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। अगर घर पर ही हैं तो नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। ग्रहण काल के बाद गरीबों और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देने का विधान है।