सन्तोषसिंह नेगी / चमोली के पोखरी ब्लाक में भगवान तुंगनाथ पोखरी के बालिका इण्टर कालेज में पूजा अर्चना तथा नगर भ्रमण के बाद तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ की डोली रात्रि विश्राम के लिये पाब गांव पहुंचेगी जहां भगवान तुंगनाथ की डोली कल गांव का भ्रमण करेगी पोखरी नगर में गाजे बाजे और फूल मालाओं के साथ तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ की डोली का स्वागत किया और मनौतिया मांगी कड़ाके की ठंड के बाद भी गजब का उत्साह बना हुआ है वहीं तुंगनाथ के दर्शनों हेतु क्षेत्र मे श्रध्दालु का ताता लगा हुआ है। विदित है कि 17 वर्षो बाद 28 दिसम्बर को तुंगनाथ की दिवारा यात्रा शुरु हुई थी और अखोडी, भणज ,मचकण्डी ,मोहनखाल होते हुये पोखरी ब्लाक के तीस से अधिक गांवों के भ्रमण कर पोखरी पहुंची जहां सुबह पुरोहितो द्वारा तुंगनाथ भगवान की पूजा अर्चना कर भगवान शिव को आरती कर पोखरी नगर द्वारा मनौतीया मांगी गयी।
पोखरी नगर में भ्रमण कर भगवान तुंगनाथ ने ग्रामीणों को आशीष दिया और रात्रि विश्राम के लिये तुंगनाथ की डोली पाब गांव के लिये रवाना हुई पोखरी से नम आंखों से भगवान तुंगनाथ की डोली को विदाई दी । इस अवसर पर देवरा मन्दिर समिति के अध्यक्ष भूपेन्द्र मैठाणी ने कहा सभी गांवों में जो भगवान तुंगनाथ की डोली के प्रति जो अटूट आस्था है। इसकी जितनी सराहना की जाय कम है। प्रबन्धक प्रकाश पुरोहित ने कहा गांवों जो व्यवस्थायें कियी है सभी इससे गदगद है बचन सिंह नेगी कुल पुरोहित लम्बोदर प्रसाद मैठाणी, सन्दीप नेगी, लक्ष्मणसिंह, ताजबरसिंह आदि मौजूद थे
भगवान तुंगनाथ क्यों प्रसिद्ध है
तुंगनाथ उत्तराखण्ड के गढ़वाल के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है तुंगनाथ पर्वत पर स्थित है तुंगनाथ मंदिर, जो 3460 मीटर की ऊँचाई पर बना हुआ है और पंच केदारों में सबसे ऊँचाई पर स्थित है। यह मंदिर १,००० वर्ष पुराना माना जाता है और यहाँ भगवान शिव की पंच केदारों में से एक के रूप में पूजा होती है। ऐसा माना जाता है की इस मंदिर का निर्माण पाण्डवों द्वारा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया गया था, जो कुरुक्षेत्र में हुए नरसंहार के कारण पाण्डवों से रुष्ट थे। तुंगनाथ की चोटी तीन धाराओं का स्रोत है, जिनसे अक्षकामिनी नदी बनती है। मंदिर चोपता से तीन किलोमीटर दूर स्थित है।आज भी शिव भक्तों की अटूट आस्था है।