मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ।उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दिये गये बयान पर तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त किया है। जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री जी को किसानों की पीड़ा का अंदाजा नहीं है। यही कारण है कि जमीनी हकीकत को जाने बगैर खुद अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। सच्चाई यह है कि सबसे ज्यादा गन्ना उत्पादन करने वाले हमारे प्रदेश का गन्ना किसान लागत से कम मूल्य पाने तथा समय से भुगतान न होने की वजह से त्राहि-त्राहि कर रहा है।उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 के बाद किसान आत्महत्या दर 45 प्रतिशत बढ़ी है। सरकारी आंकड़े के हिसाब से प्रतिदिन 35 किसान आत्महत्या कर रहे हैं। देश और प्रदेश में सबसे ज्यादा किसानों की आत्महत्या 2014 के बाद हुई।जिसकी तादाद प्रथम तीन वर्ष में लगभग 12 हजार से अधिक है। कृर्षि विकास दर जो यूपीए सरकार के समय में औसत 3.6 प्रतिशत थी वह इस समय 1.9 प्रतिशत रह गयी है जो आजादी के बाद सबसे कम है। यूपीए सरकार के समय ग्रामीण आय 17.6 प्रतिशत थी जो अब घटकर 6.6प्रतिशत रह गयी है जो चिन्तनीय है।लल्लू ने कहा कि कर्ज का दंश झेल रहे किसानों की समस्याओं को दूर करने के लिए कांग्रेस की यूपीए सरकार ने पूरे देश में 72 हजार करोड़ रूपये कर्ज माफ किया और दुगुने से ज्यादा किसानों को उपज का मूल्य दिया गया जो अपने आप में रिकार्ड है।जबकि भाजपा ने पूंजीपतियों का एक लाख तीस हजार करोड़ रूपये माफ किया। शायद मुख्यमंत्री को प्रदेश के बारे में पता नहीं है कि पहला कृषि विज्ञान केन्द्र वर्ष 1976 में जनपद सुलतानपुर में कांग्रेस शासनकाल में स्थापित हुआ था। क्रमशः कृषि विश्वविद्यालय और अनुसन्धान केन्द्रों की पूरी प्रदेश में एक क्रमबद्ध श्रृंखला स्थापित की गई जिसमें कृषि विश्वविद्यालय कुमारगंज (फैजाबाद), चन्द्रशेखर आजाद कृषि वि0वि0 कानपुर, चै0 चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय मेरठ, गन्ना अनुसन्धान संस्थान लखनऊ, सहित दर्जनों जनपदों में इस प्रकार के उन्नत केन्द्रों की न सिर्फ स्थापना की गयी है अपितु उन्नत किस्म के हर प्रकार के बीजों के उत्पादन और विकास के लिए इन उच्च तकनीकी कृषि संस्थानों को स्थापित किया गया था। लल्लू ने कहा कि मुख्यमंत्री जी को लफ्फाजी बन्द करके जमीनी तौर पर कृषि विकास एवं उद्योग से सम्बन्धित संस्थानों को बेहतर बनाने का प्रयास करना चाहिए। जिससे किसानों को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाया जा सके औरे किसानों की दुश्वारियां कम हों तथा आत्महत्याएं रूक सकें।