इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेशनुसार यूपी सरकार ने लगभग 54000 परिषदीय शिक्षकों के एक जिले से दूसरे जिले में तबादले की गाइडलाइन को सशर्त मंजूरी दे दी है. नए नियम के हिसाब से सूची में शामिल शिक्षकों को 5 वर्ष और शिक्षिका का 2 वर्ष की सेवा के बाद ही तबादला किया जायेगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अंतर्जनपदीय तबादले के लिए आवेदन करने वाले 9057 शिक्षकों को दावेदारी से बाहर कर दिया गया है. इन्होंने 14 दिसंबर 2015 के बाद कार्यभार ग्रहण किया है. वहीं, 6 शिक्षिकाएं हैं, जिन्होंने 20 दिसंबर 2018 के बाद कार्यभार ग्रहण किया है.
दूसरी बार अंतर्जनपदीय तबादला
शिक्षा विभाग ने यह भी घोषणा की ही कि जिन शिक्षिकाओं ने अपनी शादी से पहले एक बार अंतर्जनपदीय तबादला सुविधा का लाभ ले लिया है, उन्हें दोबारा तबादले का अवसर दिया जाएगा. वहीं, असाध्य रोग से ग्रसित शिक्षकों को छोड़कर किसी भी शिक्षक या शिक्षिका का सामान्य परिस्थिति में दूसरी बार अंतर्जनपदीय तबादला नहीं किया जाएगा.
हाइकोर्ट का आदेश
हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिव्या गोस्वामी केस में दिए अपने ही आदेश का संशोधन किया है. इसके साथ ही चिकित्सकीय आधार पर कभी भी स्थानांतरण करने की मांग की छूट दी है. इससे पहले हाईकोर्ट ने 3 नंवबर के आदेश से अंतर्जनपदीय तबादलों को लेकर जारी सरकार की गाइडलाइन को मंजूरी दे दी थी. लेकिन, कोर्ट ने बीच सत्र में किसी भी शिक्षक का तबादला करने पर रोक लगा दी थी. बता दें , ये आदेश जस्टिस अजीत कुमार की एकल पीठ के द्वारा दिया गया है.