अंडमान और निकोबार द्वीपों में संरक्षित जनजातियों द्वारा एक अमेरिकी नागरिक के मारे जाने के मुद्दे पर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की 108वीं बैठक में चर्चा की गई। बैठक की अध्यक्षता आयोग के अध्यक्ष डॉ. नंद कुमार साई ने की। आयोग ने घटना पर गृह मंत्रालय और अंडमान एवं निकोबार प्रशासन द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट की समीक्षा की। बैठक में जनजातीय कार्य मंत्रालय के अपर सचिव ने आयोग को अंडमान एंव निकोबार द्वीपों में 30 द्वीपों के लिए प्रतिबंधित क्षेत्र परमिट में रियायत देने के विषय पर मंत्रालय के निर्णय की पृष्ठभूमि से अवगत कराया। उन्होंने यह भी बताया कि अंडमान एंव निकोबार द्वीपों के उप राज्यपाल ने अंडमान एंव निकोबार प्रशासन के सचिव (जनजातीय कल्याण) की अध्यक्षता में एक 5 सदस्यीय समिति का गठन किया है, जो निम्नलिखित बिन्दुओं पर गौर करेगी-उत्तर सेंटीनल द्वीप में विदेशी नागरिकों को जाने से रोकने के संबंध में संस्थागत प्रणाली की समीक्षा, और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उपायों को सुझाना।
समिति 30 दिनों के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंप देगी।
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि इस दुर्भाग्यशाली घटना के बाद उत्तर सेंटीनल द्वीप में सेंटीनल जनजातीयों के लिए खतरा बहुत बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि शव बरामद करने के लिए अगर कोई भी सख्त कदम उठाया गया, तो द्वीप की शांति पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने बताया कि आयोग भारत के संविधान के अनुच्छेद 338ए (5ए) के तहत मामले की जांच और निगरानी करने के लिए 4 से 6 दिसंबर, 2018 को अंडमान एवं निकोबार द्वीपों का दौरा करेगा। उन्होंने कहा कि ‘उत्तर सेंटीनल द्वीप की अनुल्लंघनीयता’ कायम रखने के लिए सरकार को सभी आवश्यक कदम उठाने चाहिए।