संतोष नेगी। उत्तराखण्ड हाई कोर्ट ने तकनीकी विश्वविधालय देहरादून में प्रभारी कुलपति के रूप यूएस रावत की नियुक्ति को उत्तराखण्ड तकनीकी विश्वविधालय अधिनियम के विपरीत मानते हुए उनकी नियुक्ति को निरस्त करने के आदेश दिए है साथ ही कुलपति व कुलसचिव को न्यायलय की अवमानना का दोषी का दोषी पाया है और उनके खिलाफ आरोप तयकरते हुए उनको 11 अक्टूबर तक अपना पक्ष रखने का समय दिया है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश राजीव शर्मा एवं न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार सहायक परीक्षा नियंत्रक उत्तराखंड तकनीकि विवि अरूण शर्मा ने हाईकोर्ट में ययाचिका दायर कर तकनीकी विश्वविधालय के परीक्षा नियंत्रक के 6 सितंबर 2017 के आदेश को चुनौती देते हुए कहा था कि याचिककार्ता को विवि की ओर से कार्य करने से रोका गया जिनमें वित्त नियंत्रक व सहायक कुलसचिव के रूप में कार्य कराना शामिल है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि उसको अपना पक्ष रखने का कोई अवसर नहीं दिया है यह आदेश वित्त नियंत्रक की दुर्भावना व कुछ लोगों की साजिश के कारण पारित किया गया है।
कोर्ट की ओर से 19 जून 2018 को अंतरिम आदेश पारित कर याचिकाकर्ता को बतौर सहायक परीक्षा नियंत्रक व सहायक कुलसचिव के रूप में कार्य करने और वेतन देने के आदेश दिए थे लेकिन इससे पूर्व कुलसचिव की ओर से 8 जून 2018 को विश्वविधालय का कार्य करने से रोक दिया एवं उसे उपनल हेतु कार्य करने के लिए भेज दिया। याचिकाकर्ता ने इस आदेश को भी चुनौती दी थी। कोर्ट ने 20 जून 2018 को भी इस आदेश स्थगित कर दिया। लेकिन कुलपति व कुलसचिव द्वारा उक्त आदेश का परिपालन नहीं किया गया जिस पर अवमानना याचिका के साथ साथ ही उनकी रिट याचिका पर भी सुनवाई हुई। कोर्ट ने विश्वविधालय द्वारा 6 सितंबर 2017 के आदेश को प्राकृतिक न्याय के सिद्घान्तों के विपरीत मानते हुए निरस्त कर दिया और वर्तमान कुलपति की नियुक्ति को उत्तराखंड तकनीकि विवि अधिनियम के विपरीत मानते हुए निरस्त करने के आदेश दिए है। कोर्ट ने कुलपति व कुलसचिव को न्यायालय की अवमानना का दोषी मानते हुए आरोप सिद्ध कर दिए। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए दोनों को 11 अक्टूबर की तिथि नियत करते हुए पक्ष रखने के निर्देश दिए हैं।