संतोष नेगी। उत्तराखण्ड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है की उसने उपनल कर्मियों के नियमितीकरण के लिए क्या नीति बनाई है। इस सन्दर्भ में सरकार से दो सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। मामले के अनुसार कुंदन कुंदन सिंह नेगी ने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीश को पत्र भेजकर उपनल द्वारा की जा रही नियुक्तियों में रोक लगाने की मांग की थी जिसका हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार कर लिया।
याचिका में कहा गया कि उपनल का संविदा लेबर एक्ट में पंजीकरण नही है इसलिए यह असवैधानिक संस्था है । उपनल का गठन पूर्व सैनिको व उनके आश्रितों के लिए हुआ था किन्तु राज्य सरकार ने इस संस्था को आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों के नियुक्ति का माध्यम बना दिया है। जिस पर पूर्ण नियंत्रण राज्य सरकार का है।
याचिका में उपनल कर्मियो के समाजिक व आर्थिक स्थिति को देखते हुए भविष्य के लिए नीति बनाने की मांग की है। मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खण्डपीठ ने सरकार से पूछा है कि उपनल कर्मियों के नियमतिकरण के लिए सरकार ने अभी तक क्या नीति बनाई है । इस पर राज्य सरकार से दो सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है।