संतोषसिंह नेगी /चमोली / आजकल उत्तराखण्ड में जाये और जंगलों के भ्रमण कर तो आपको हर ओर लालिमा छाई मिलगी। लगभग मार्च के मध्य से यह फूल खिलने लगते है, यह फूल पहाड़ी क्षेत्रों में उपलब्ध होता है। इस बार बर्फबारी के कारण अधिक बुरांश खिले है उच्च हिमालयी क्षेत्रो में 1500 से 3600 मीटर की उचाई तक पाया जाता है। बुरांश का अंग्रेजी नाम रोडोडेंड्रॉन है,
भारत मे पायी जाने वाली कुल 87 प्रजातियों में से 12 प्रजातियां इसकी उत्तराखण्ड में पायी जाती है। बुरांश का इतिहास बहुत अधिक पुराना नही है ये लगभग 1650 में सबसे पहले ब्रिटिश में उगाया गया था इसके बाद साइबेरिया ने 1780 में और फिर 1976 में एक अन्य प्रजाति को उगाया था। भारत मे बुरांश पहली बार 1796 मे श्रीनगर में पायी गयी और इसकी पहली प्रजाति अरबोरियम है।
प्रसिद्ध बोटनिस्ट जोसेफ डॉ. हूकर द्वारा एक यात्रा की गई थी उन्होंने नेपाल से लेकर उत्तरी भारत की यात्रा की थी जिसमे बुरांश की सही सही जानकारी दी। बुरांश उत्तराखण्ड का राज्य वृक्ष है इस वर्ष जहां चमोली में बार- बार बर्फबारी हुई जिसके कारण बुरांश भी अधिक खिले मानों जंगलों में लालिमा छाई हो ।