संतोष सिंह नेगी। वैली आॅफ फ्लाॅवर्स प्रकृति का अनमोल खजाना हैं। यह धरती पर मौजूद उन प्राकृतिक जगहों में है जिसको जिसको यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया है। वैली आॅफ फ्लाॅवर्स एक सौंदर्य की विरासत में सजोएं हुए है । विश्व की प्रसिद्ध वैली आॅफ फ्लाॅवर्स चमोली में 3650 मीटर पर स्थित है यह घाटी के विश्व की प्राकृतिक सौंदर्य में सें एक है । प्रकृति प्रेमियों के लिए एक जून सें बेली आॅफ फ्लाॅवर आम लोगो के लिए खुल जाएगी।
इंग्लैंड के प्रसिद्ध पर्वतारोही फैंक स्माइल ने 1931में इस ऊंचाई पर चढ़ने के बाद इस क्षेत्र में पहुंचे वहां उन्होेंने धरती को फूलों सज्जित देखा तो उनका खुशी का ठिकाना नही रहा। प्रकृति मे अद्भुत फूलों को देखने के बाद जब स्माइल वापसी गये तो लेकिन मन फूलों में ही रमता रहा। फूलों की घाटी में गहन शोध से पता चला की घाटी में 500 से अधिक फूलों की किस्म मौजूद हैं। शोध के बाद बेली आॅफ फ्लावर नाम पुस्तक लिख डाली।2001 में इसे नन्दा देवी वायोसिफयर रिजर्व में शामिल किया गया उसके बाद 2005 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित कर प्रकृति के मनोहर दृश्यों संजोया।इस वैली की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली हुई है. जिससे देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए फूलों की घाटी आकर्षण का केंद्र है. इस बार भी वैली में जाने वाले पर्यटकों की तादाद बढ़ने की उम्मीद है. फूलों की घाटी दुनिया की इकलौती जगह है, जहां प्राकृतिक रूप में 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते है।
फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान
जिसे आम तौर पर सिर्फ़ फूलों की घाटी कहा जाता है, भारत का एक राष्ट्रीय उद्यान भी है जो उत्तराखण्ड के हिमालयी क्षेत्र में स्थित है नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान सम्मिलित रूप से विश्व धरोहर स्थल घोषित हैं। यह उद्यान 87.51किमी वर्गक्षेत्र में फैला हुआ है।फूलों की घाटी को सन् 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया। फूलों की घाटी पहुँचने के लिए चमोली जिले का अन्तिम बस अड्डा गोविन्दघाट है इसके बाद पैदल मार्ग शुरू होता है।फूलों की घाटी तक पहुँचने के लिए चमोली जिले का अन्तिम बस अड्डा गोविन्दघाट है। जोशीमठ से गोविन्दघाट की दूरी 19 किमी है। यहाँ से प्रवेश स्थल की दूरी लगभग 13 किमी है जहाँ से पर्यटक 3 किमी लम्बी व आधा किमी चौड़ी फूलों की घाटी में घूम सकते हैं
इतिहास
रामायण काल में हनुमान संजीवनी बूटी की खोज में इसी घाटी में पधारे थे। 1931 फैंक स्माइल ने अपने कामेट पर्वत के अभियान से लौटने के बाद इसकी बेइंतहा खूबसूरती से प्रभावित 1937 में इस घाटी में वापस आये और, 1968 में “वैली ऑफ फ्लॉवर्स” नाम से एक किताब प्रकाशित करवायी आज भी यह पुस्तक लोगों को फूलों की घाटी के लिए प्रोत्साहित करती है।