कृषि क़ानून वापस लेने के बाद इसका जवाब कौन देगा ?

शुक्रवार शुबह को प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की है कि सरकार संसद के आगामी सत्र में सभी 3 कृषि कानूनों को वापस ले लेगी। संयुक्त किसान मोर्चा ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने का स्वागत करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी को याद दिलाया कि उनका विरोध इस एक मुद्दे तक सीमित नहीं था।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को घोषणा की कि उनकी सरकार एक साल पहले संसद द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों को रद्द कर देगी। जिसके कारण कई राज्यों में किसान संघों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया है। प्रधानमंत्री ने बताया कि कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान होगी, जो अगले सप्ताह से शुरू हो रहा है।

लेकिन इस बीच कई सवाल उठते हैं जिसका जवाब मोदी सरकार को देना चाहिए। कुछ सवालों की फेहरिस्त ये रही :

1. 750+ किसानों की जान गयी इस पूरे किसान आंदोलन में इन सभी का क़ातिल कौन हैं ? क्या इन सभी 750+ लोगो को शहीद का दर्ज़ा देगी मोदी सरकार? 

2. लगभग एक साल तक किसानों के काम धंधों पूरी तरह से चौपट हैं इसकी ज़िम्मेदारी लेगी मोदी सरकार ?

3. जनता की कमाई से करोड़ों की सड़कों को खोद दिया। सिर्फ इसलिए की किसान दिल्ली न पहुंच सके। इतने पैसो का हिसाब देगी मोदी सरकार ? 

4. बूढ़े दबे कुचले किसानों के सिर फोड़ दिए गए पुलिस द्वारा। क्या उन पुलिस वालो पर करवाई करेगी मोदी सरकार ?

5. किसानों के बच्चों को उनकी दुकानों, नौकरियों और पढ़ाई की जगह पर अनगिनत ताने मिले। कइयों को जानबूझकर सताने की कोशिश हुई। इसकी सुध लेगी मोदी सरकार ? 

6. किसानों के बीच से आने वाले पत्रकारों, लेखकों और सोशल मीडिया पर एक्टिव लोगों को देश विरोधी से लेके न जाने क्या क्या कहा गया। कौन लेगा इसकी ज़िम्मेदारी ? 

7. किसान आंदोलन में किसानो को गालियां दी गयी, चोरियां करवाई, टैंटों में आग लगवाई, पत्थर फेंके। मोदी सरकार लेगी इसकी ज़िम्मेदारी ?

8. कानून वापसी कोई अहसान नहीं होगी। यह हक़ है किसानों का। पिछले एक साल में जो किसानो ने झेला है, उसका हिसाब कौन देगा? 

9. देर रात पुलिस के छापे, टुच्चे नेताओं के बयान, फोन टैप, सोशल मीडिया बैरियर और थोक के भाव में पुलिस केस। इन सभी के लिए माफ़ी मांगेगी मोदी सरकार ?

10. आंदोलन के दौरान ही एमएसपी का मजाक बना देना। और सबसे बड़ा मोदी सरकार का अहंकार। अहंकार ख़त्म हुई ? कि अभी और ज़ुलम ढाने हैं ?  

बड़ा आसान होता हैं अपने ऐशोआराम ज़िन्दगी से ग़रीब दबे कुचले लोगो पर राज करना। लेकिन अपने किये के लिए माफ़ी भी कभी कभी छोटा शब्द बन कर रह जाता हैं। माफ़ी मांगे से अच्छा इन सभी सवालों का ज़वाब दिया जाना चाहिए। नहीं तो इतिहास, सवालों से डर के भागने वाले को मोदी कहते हैं, ऐसे कहावत बोला करेगी। 

ज़ुल्म के निशान लखीमपुर खीरी, हिसार, रोहतक, करनाल, पिपली, गाजीपुर, सिंघु बॉर्डर की सभी तस्वीरें अभी ज़िंदा हैं और वे हमेशा ज़िंदा रहेंगी। जो कानून वापसी का अहसान दिखाए उसके ऊपर ये कुछ सवाल पूछ कर देखा जाना चाहिए। बार बार सवाल करने से ही ये सारे सवाल ज़िंदा रहेंगे। आने वाली पीढ़ियों को किसानों के संघर्ष और सत्ता के अहंकार का इल्म होना चाहिए। 

News Reporter
Akash has studied journalism and completed his master's in media business management from Makhanlal Chaturvedi National University of journalism and communication. Akash's objective is to volunteer himself for any kind of assignment /project where he can acquire skill and experience while working in a team environment thereby continuously growing and contributing to the main objective of him and the organization. When he's not working he's busy reading watching and understanding non-fictional life in this fictional world.
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