विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन,पर्यावरण बचाने की दिलाई शपथ

सोनभद्र। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में पुलिस अधीक्षक आर पी सिंह रहे। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में ओम प्रकाश पाठक अध्यक्ष बार एशोसीएशन राजेश द्विवेदी वरिष्ठ कांग्रेसी नेता डॉ जे एन तिवारी जी पूर्व इंजीनियर कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार अजय शेखर ने किया कार्यक्रम संयोजक डॉ धर्मवीर तिवारी रहे कार्यक्रम का संचालन देवेंद्र सिंह पटेल ने किया।

सभा को संबोधित करते हुए श्री धर्मवीर तिवारी जी ने कहा पर्यावरण प्रदूषण के खिलाफ भारतीय  मनीषियों ने पहले से ही आवाज उठाई है जिसका प्रमाण हम इस श्लोक से दे सकते है ॐ शन्तिरक्षः ग्वं शान्तिः पृथ्वी शान्तिः रापः शान्तिः रोषधयः शान्तिः शान्तिरेव शान्तिः वनस्पतयः शान्तिः विश्वे  देवाः शान्तिः ब्रह्म शान्तिः सर्व ग्वं शान्तिः शान्तिरेवः शान्ति का मंत्र देकर लोगो को बताया कि अंतरिक्ष मे संचरण से अंतरिक्ष का वातावरण प्रदूषित हो रहा है इसलिए शान्तिः की आवश्यकता है इसके साथ ही पृथ्वी पर भी अशान्ति है जिसके शान्ति जरूरी है।

प्रकृति के दोहन होने से औषधियां भी नष्ट हो रही है जिससे पर्यावरण पर भी प्रतिकूल असर पर पड़ रहा है। आज हम सभी भारतीय मनीषियों की उस सोच का थोड़ा भी अनुसरण किये होते तो आज यह दिन देखने को नही मिलता। आज हम  विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पर्यावरण से युक्त और जिले को स्वच्छ वातावरण देने , जल संरक्षण के साथ ही नशा मुक्त विषय पर आवाज उठाना आवश्यक है। सबसे पहले हम पर्यावरण शब्द को जान ले। पर्यावरण शब्द का निर्माण दो शब्दों परि और आवरण से मिलकर बना है, जिसमें परि का मतलब है हमारे आसपास अर्थात  जो हमारे चारों ओर है, और “आवरण” जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है।

पर्यावरण उन सभी भौतिक, रासायनिक एवं जैविक कारकों की कुल इकाई है जो किसी जीवधारी अथवा पारितंत्रीय आबादी को प्रभावित करते हैं तथा उनके रूप, जीवन और जीविता को तय करते हैं। पर्यावरण के जैविक संघटकों में सूक्ष्म जीवाणु से लेकर कीड़े-मकोड़े, सभी जीव-जंतु और पेड़-पौधों के अलावा उनसे जुड़ी सारी जैव क्रियाएं और प्रक्रियाएं भी शामिल हैं । जबकि पर्यावरण के अजैविक संघटकों में निर्जीव तत्व और उनसे जुड़ी प्रक्रियाएं आती हैं, जैसे: पर्वत, चट्टानें, नदी, हवा और जलवायु के तत्व इत्यादि। सामान्य अर्थों में यह हमारे जीवन को प्रभावित करने वाले सभी जैविक और अजैविक तत्वों, तथ्यों, प्रक्रियाओं और घटनाओं से मिलकर बनी इकाई है। यह हमारे चारों ओर व्याप्त है और हमारे जीवन की प्रत्येक घटना इसी पर निर्भर करती और संपादित होती हैं।

मनुष्यों द्वारा की जाने वाली समस्त क्रियाएं प र्यावरण को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं।  इस प्रकार किसी जीव और पर्यावरण के बीच का संबंध भी होता है, जो कि अन्योन्याश्रि‍त है। मानव हस्तक्षेप के आधार पर पर्यावरण को दो भागों में बांटा जा सकता है, जिसमें पहला है प्राकृतिक या नैसर्गिक पर्यावरण और मानव निर्मित पर्यावरण।  यह विभाजन प्राकृतिक प्रक्रियाओं और दशाओं में मानव हस्तक्षेप की मात्रा की अधिकता और न्यूनता के अनुसार है। पर्यावरणीय समस्याएं जैसे प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन इत्यादि मनुष्य को अपनी जीवनशैली के बारे में पुनर्विचार के लिये प्रेरित कर रही हैं और अब पर्यावरण संरक्षण और पर्यावरण प्रबंधन की आवश्यकता महत्वपूर्ण है। आदिवासी बाहुल्य जिले में नशा मुक्ति की बात करना थोड़ा अटपटा लगता है लेकिन नशा मुक्त की बात इसलिए करनी पड़ रही है क्योंकि आदिवासी समाज अपने प्राकृतिक व परंपरागत महुआ के नशे का आदि होता है लेकिन आज का युवा पीढ़ी हेरोइन , चरस व गांजा के नशे का आदती होते जा रहा है। जिले को स्वच्छ वातावरण , नशा मुक्त और जल संरक्षण की समस्याओं का हल निकालना है यह तभी सम्भव है जब बुद्धिजीवी वर्ग एक साथ बैठकर हल निकाले जिस युवा पीढ़ी अमल करें। मुख्य अतिथि आर पी सिंह ने कहा कि आदिवासी बाहुल्य जिले में नशा मुक्ति की बात करना थोड़ा अटपटा लगता है लेकिन नशा मुक्त की बात इसलिए करनी पड़ रही है क्योंकि आदिवासी समाज अपने प्राकृतिक व परंपरागत महुआ के नशे का आदि होता है लेकिन आज का युवा पीढ़ी हेरोइन , चरस व गांजा के नशे का आदती होते जा रहा है। इसलिए आज के परिवेश में नशा मुक्ति पर पहल जरूरी है।

राजेश द्विवेदी आर एन पाठक जी अरविंद पांडेय ने भी अपने विषय को रखा। अंत मे मुख्य अतिथि ने शपथ दिलाई की आज से और अभी से भूमि,वायु ,जल ,पौधे ,पशु ,पक्षी सबकी हर सम्भव रक्षा करूँगा कभी किसी को कोई नुकसान नही पहुँचाऊँगा ना ही किसी को पहुँचाने दूँगा और अपने आस पास पर्यावरण को संतुलित करने में एवं नशा उन्मूलन में एक दूसरे का सहयोग करूँगा कभी भी प्राकृतिक संपदाओं को कोई क्षति नही पहुँचाऊँगा ।

मैं नशा का दुष्परिणाम एवं वृक्षारोपड़ तथा जल संरक्षण से लाभ बताकर स्वच्छ वातावरण में वर्ष पर्यन्त नशामुक्त एवं पर्यावरण युक्त, समाज के निर्माण में अपने दायित्व का निर्वहन करूँगा कार्यक्रम में प्रमुख रूप से दयाशंकर पांडेय ,मनीष अग्रहरि , सुरेंद्र नाथ तिवारी अनिल सिंह जी सत्येंद्र चौबे , प्रकाश श्रीवास्तव ,विनोद सोनी ,गुरु शंकर योगेश सिंह, अंकुर कश्यप,अनूप पांडेय ,श्याम उमर ,दरोगा तिवारी विपिन श्रीवास्तव , दिशांत दुबे ,तनमय त्रिपाठी, शैलेन्द्र मिश्रा,अखिलेश कश्यप, वीरेंद्र शुक्ला, दिनेश श्रीवास्तव,अखिलेश कश्यप,मिठाई लाल सोनी ,कुंवर वीरेंद्र विक्रम सिंह विमलेश पटेल अशोक तिवारी , आनंद मिश्र , विनय जायसवाल , समर सिंह, अरुण सिंह, राजेश मिश्रा मंडल अध्यक्ष ,अर्जुन सिंह जी , ओम प्रकाश श्रीवास्तव ,समेत सैकडों लोग रहे।

News Reporter
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