रिपोर्ट- शांनतनु
बुन्देलखण्ड के महोबा में गरीबों को भरपेट भोजन मुहैया कराने वाले भारतीय रोटी बैंक ने वार्षिक उत्सव को गरीबो का शीतकालीन उत्सव के रूप में मनाया। रोटी बैंक ने असहाय, गरीब और दिव्यांगों को ठंड से राहत देने के लिए शीतकालीन कैम्प के माध्यम से सैकड़ों लोगों को कम्बल वितरित कर राहत पहुंचाने का काम किया है। रोटी बैंक के संस्थापक हाजी मुट्टन और जिला विद्यालय निरीक्षक के हाथों से कम्बल मिलते ही गरीबों के चेहरे खिल उठे हैं। कार्यक्रम में समाज के प्रत्येक क्षेत्र में बेहतर काम करने वाले लोगो को रोटी बैंक द्वारा सम्मानित भी किया गया.
महोबा में संचालित रोटी बैंक ने भारत ही नही विश्व मे अपनी कार्यप्रणाली की बेहतर मिशाल पेश की है। सरकारी व गैरसरकारी संस्थाओं के बिना ही रोटी बैंक के सैकड़ों कर्मचारी रात दिन मेहनत कर जिले के गरीब और असहायों को घर घर जाकर निशुल्क भोजन वितरित कर रहे हैं। रोटी बैंक के संस्थापक ने तमाम स्थानों पर भ्रमण कर सात सौ से ज्यादा गरीबों को चिन्हित किया है। आज जीजीआईसी कॉलेज में जिला विद्यालय निरीक्षक एस० पी ० सिंह की मौजूदगी में शीतकालीन कैम्प के माध्यम से हड़कपाऊ ठंड से बचाने के लिए कम्बलों का वितरण किया गया है।
गरीबों के लिए रोटी बैंक के शीतकालीन उत्सव की मौजूद अतिथियों और समाजसेवियों ने जमकर प्रशंसा की. शीतकालीन उत्सव में बतौर मुख्य अतिथि शमिल हुए जिला विद्यालय निरीक्षक एस० पी ० सिंह ने कहा कि समाज के सभी जागरूकलोगो को ऐसे कार्यक्रम करने की जरुरत है जिससे आम आदमी भी सुखी जीवन जी सके.
रोटी बैंक के संस्थापक हाजी मुट्टन कहते है कि रोटी बैंक बिना किसी की मदद लिए गरीबो के हित में काम कर रहा है. साल में दो बार गरीबो के लिए उत्सव प्रत्येक वर्ष होता है. शीतकालीन उत्सव में सभी लोगो को कम्बल वितरित किये गए है! बैंक लगातार आगे बढ़ रहा है विदेशों में भी महोबा का रोटी बैंक काम कर रहा है. रोटी बैंक का लक्ष्य और सन्देश है कि पडोसी भूखा न सोये इसका लोग ख्याल रखें। ठण्ड से किसी की मौत न हो इसके लिए इस उत्सव के माध्यम से चिन्हित किये गए जरूरतमंदों को गर्म कम्बल वितरित किये गए है.
महोबा जीजीआईसी इंटर कालेज में शीतकालीन कैम्प में बैठे लाभार्थियों ने बताया कि हम सभी बेहद गरीब है हमें दो वक्त की रोटी भी रोटी बैंक के माध्यम से निशुल्क मुहैया होती है। रोटी बैंक के संस्थापक हाजी मुट्टन सभी का खास ध्यान रख भोजन देते हैं. साथ ही हमें ठंड से बचने के लिए कम्बल दे रहे हैं।